कर्मचारियों से 12% ब्याज के साथ होगी 165 करोड़ की वसूली,अधिकारियों की लापरवाही से वन विभाग के कर्मचारियों को मिलता रहा गलत वेतन

प्रदेश के शासकीय कर्मचारी अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं उसकी बानगी वन विभाग की एक बड़ी लापरवाही से सामने आई है| दरअसल मध्य प्रदेश के वन विभाग में वेतन गणना में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इसके चलते सरकार ने 6592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपये वसूलने का आदेश जारी किया है। यह मामला वेतन गणना में हुई गलती और भर्ती नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है, जिससे सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। वन विभाग ने वनरक्षकों को 5680 रुपये के मूल वेतन का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, जबकि नियमों के अनुसार 5200 रुपये का मूल वेतन ही दिया जाना चाहिए था। इस गड़बड़ी के चलते 6592 वनरक्षकों को पिछले कई सालों से अतिरिक्त वेतन दिया गया। वित्त विभाग के परीक्षण में यह गड़बड़ी सामने आई। इसके बाद सरकार ने अतिरिक्त दिए गए वेतन की वसूली के आदेश जारी किए हैं। वेतन की गलत गणना के चलते 2006 से काम कर रहे वनरक्षकों से 5 लाख रुपये और 2013 से काम कर रहे वनरक्षकों से 1.5 लाख रुपये की वसूली की जाएगी। इसमें 12% की दर से ब्याज भी जोड़ा जाएगा। वित्त विभाग ने वेतन बैंड में सुधार के लिए भी कहा है, जिससे भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों से बचा जा सके। वित्त विभाग के पत्र के अनुसार वेतन की गलत गणना की जिम्मेदारी वन विभाग और कोषालय दोनों की है। वेतन का गलत निर्धारण होने के बावजूद, कोषालय द्वारा इसे बढ़ा हुआ वेतन जारी किया गया। 2006 में लागू छठे वेतनमान के बाद, वनरक्षकों का वेतन बैंड 5680 रुपये और ग्रेड-पे 1900 रुपये कर दिया गया था, लेकिन इस दौरान नियमों का सही तरीके से पालन नहीं हुआ। सरकार के इस आदेश से वनरक्षकों के बीच हड़कंप मच गया है। कई कर्मचारियों के लिए यह आर्थिक झटका है, क्योंकि वे पिछले सालों से इस बढ़े हुए वेतन पर निर्भर थे। अब उन्हें अतिरिक्त भुगतान के साथ-साथ 12% ब्याज भी चुकाना होगा।
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