गिरे मतदान प्रतिशत की वजह तलाशने में जुटी भाजपा और कांग्रेस,10 फीसदी से ज्यादा गिरा मतदान प्रतिशत
महज पांच महीने में आई मतदान में गिरावट भाजपा और कांग्रेस के गले नहीं उतर रही है| दोनों ही पार्टियां इसकी वजह तलाशनें में जुटी हैं कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण मतदाताओं का वोट डालने से मोह भंग हुआ है| गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान 77.15 फीसदी मतदान हुआ था उसके ठीक पांच महीने पाद हुए लोकसभा चुनाव में 66.77 फीसदी ही मतदान हुआ है| इस तरह कुल 10.38 प्रतिशत की मतदान में गिरावट आई है| लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली विधानसभा के विश्लेषणों में यह बात सामने आई है| प्रदेश में दो दलीय प्रथा है मतलब भाजपा और कांग्रेस के बीच ही एमपी में हमेशा मुकाबला होता है और इस बीच दोनों दलों के राष्ट्रीय नेताओं ने प्रदेश स्तरीय और राष्ट्रीय मुद्दे उठाए हैं| लोकसभा चुनाव में भी दोनों दलों के राष्ट्रीय मुद्दों में ज्यादा बदलाव नहीं रहा,फिर भी मतदान प्रतिशत में गिरावट आने की वजह अब भाजपा और कांग्रेस के गले नहीं उतर रहा है| विधानसभा चुनाव की तुलना में सबसे अधिक गिरावट 20.83 फीसदी दमोह लोकसभा सीट में दर्ज की गई| चहां की आठ विधानसभा सीटों में मलहरा सीट छोड़ कर बांकी सात सीटों में भाजपा जीती थी| दूसरी बड़ी गिरावट रीवा में 17.59 प्रतिशत की रही| यहां भी सेमरिया छोड़ कर सभी विधानसभा सीटों में भाजपा के विधायक हैं| इतनी बड़ी में भाजपा के विधायकों के रहते मतदान प्रतिशत गिरा जिसके कारण भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के माथे में चिंता की लकीरें हैं| हालाकि भाजपा के नेता अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं लेकिन वो इस बात को लेकर चिंतित जरुर हैं कि मतदान प्रतिशत गिरने का कारण क्या है| जबकि मोदी की गारंटी के नाम पर भाजपा के नेताओं ने जमकर प्रचार प्रसार किया फिर भी वोटर घर से क्यों नहीं निकले जो चिंतन और मंथन का कारण बना हुआ है|
What's Your Reaction?