शासकीय कर्मचारियों के वोट की भाजपा को नहीं जरुरत,इसी लिए डीए पर नहीं किया विचार
प्रदेश की मोहन सरकार (mp government) ने लोकसभा चुनाव में वोट लेने के लिए अलग-अलग वर्गों को साधने का प्लान तैयार कर लिया है। यही कारण है कि मोहन सरकार ने शासकीय कर्मचारियों (mp government employees) को चार फीसदी लंबित डीए देने के मामले में चुप्पी साध ली है। प्रदेश की भाजपा सरकार का सोचना है कि जिस प्रकार से लाड़ली बहनों ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को वोट देकर माला माल किया है ठीक उसी प्रकार से लोकसभा चुनाव में भी लाड़ली बहनें भाजपा के उम्मीदवारों को मोदी के नाम पर वोट देंगी। हाल ही में इसकी झलक पीएम मोदी के भाषण में भी सुनने को मिली जब उन्होने एक बड़ी सभा में कहा कि देश की सभी महिलाएं उनकी बहन और परिवार हैं। मतलब साफ है कि भाजपा को शासकीय कर्मचारियों से ज्यादा देश और प्रदेश की महिलाओं पर विश्वास है। महिलाओं के अलावा भाजपा ने किसानों को भी अपने वोट बैंक का हिस्सा माना है। फरवरी की अंतिम तारीख को पीएम मोदी ने किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की राशि डाली थी और उसके बाद Mukhbirmp.com ने शिवराज सरकार द्वारा संचालित किसान कल्याण योजना को मोहन सरकार को याद दिलाया तब मोहन सरकार ने भी छह मार्च को किसानों के खाते में डाल दिया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार की तरफ से संचालित किसान कल्याण योजना को प्रदेश की मोहन सरकार भूल गई थी जब इस मामले में Mukhbirmp.com ने खबर प्रकाशित की तो उसके अगले दिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राशि डालने की घोषणा की और फिर छह मार्च को यह राशि किसानों के खाते में डाल दी गई है। अब भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि प्रदेश की महिलाओं,किसानों और युवाओं को साध लिया जाएगा तो शासकीय कर्मचारियों की नाराजगी का ज्यादा असर लोकसभा चुनाव में नहीं पड़ेगा। यही कारण है कि प्रदेश की मोहन सरकार शासकीय कर्मचारियों के चार फीसदी डीए पर किसी भी प्रकार का फैसला नहीं कर रही है जबकि विधानसभा के बजट सत्र में कर्मचारियों के डीए को लेकर प्राविधान किया गया था लेकिन मोहन सरकार यह मान कर चल रही है कि कर्मचारियों को डीए देने का मतलब सीधे तौर पर फिजूल खर्ची है उससे ज्यादा कुछ नहीं।
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