बयानों के बवाल पर उलझी भाजपा,बगैर सेचे बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई करने के मूड में भाजपा

मध्य प्रदेश भाजपा एक कैडरबेस पार्टी मानी जाती है। भाजपा में किसी भी नेता द्वारा बयान आए तो उसे पार्टी का आधिकारिक बयान माना जाता है। हर नेता पार्टी में बयान भी नहीं देता इसके लिए भी पार्टी में एक अलग ही गाइड लाइन है। जिस प्रकार से विधानसभा के अंदर कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा के सवाल का जवाब मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने दिया और उस दौरान वो फफक-फफक कर रोने लगे वो चर्चा का विषय बन गया। नरेन्द्र शिवाजी पटेल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए और सदन में जवाब देते समय उन्हे उनके बेटे पर पुलिस की बरबरता आद आ गई जिससे उनका गला भर गया और वो सदन में ही रोने लगे। पुलिस कार्रवाई पर जब मंत्री रोने लगे तो सरकार की कलई खुल गई और प्रदेश में कानून ब्यवस्था के हाल क्या हैं वो सहके सामने आ गए। एक और बयान कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना का आया जिसमें उन्होने रेत माफियाओं को पेड माफिया बता दिया। कृषि मंत्री का बयान आते ही यह मामला चर्चा का विषय बन गया। विपक्ष को बैठे बिठाए एदल सिंह कंषाना ने मौका दे दिया। कंषाना के बयान पर विपक्ष ने भी जमकर अपने कसर निकाली। इस तरह के बयान जब भाजपा संगठन के पास पहुंचे तो इसे अनुशासन हीनता के दायरे में लिया गया। पार्टी नेतृत्व की ओर से नेताओं के बयान पर अंकुश लगाने की योजना तैयार की जा रही है माना यह भी जा रहा है कि इस प्रकार के बयान पर पार्टी कार्रवाई भी कर सकती है।
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