भाजपा नेताओं की बेचैनी पर कयासों का पिटारा भारी,आखिर क्या चल रहा है पढ़िए खबर

कैडर और अनुशासन की जीती जागती मिशाल कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी में पिछले कुछ महीनों से बेचैनी और कयासों का दौर भारी है। दरअसल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल को पांच साल से ज्यादा हो गया है। अगला अध्यक्ष कौन होगा,वर्तमान अध्यक्ष रिपीट होंगे य फिर भाजपा का नेतृत्व एक बार फिर चौकाएगा,कोई नया चेहरा होगा य फिर किसी वरिष्ठ नेता को भाजपा का अध्यक्ष बनाया जाएगा। इन कयासों के साथ भाजपा के कार्यकर्ता अपने दिन गुजार रहे हैं। कयासों के साथ बेचैनी भी पूरे शबाब पर है। क्योंकि हर कार्यकर्ता अपने करीबी को ही अध्यक्ष बनता हुआ देखना चाहता है। वर्मतान अध्यक्ष के करीबी कार्यकर्ता इस बात को लेकर बेचैन हैं कि हमारा क्या हो? कुछ कार्यकर्ताओं ने हवन पूजन किया है। कुछ कार्यकर्ता तीर्थ स्थलों में जाकर अपने नेता के लिए मन्नत मांग रहे हैं। इस प्रकार से भाजपा में बेचैनी और कयासों का दौर भारी है। इस बेचैनी और कयासों के बीच प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए केन्द्रीय गृह मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के पिता का भी स्वर्गवास हो गया है। इस वजह से अब इंतजार एक हफ्ते का और बढ़ गया है। जिसके चलते कार्यकर्ताओं की बेचैनी अपनी सीमाएं लांघने लगी हैं। और साइड इफेक्ट के तौर पर नेताओं के बयानों की तल्खियां बदल गई हैं। कोई भी नेता कुछ भी बोल रहा है उस पर अनुशासन का ड़डा भी नहीं चल रहा है। विधानसभा का गर्भगृह हो अथवा संगठन का कार्यालय। सभी जगहों पर लोगों की नजरें यही ताड़ती रहती हैं कि ऐसा कोई तो मिले जो यह बताए कि अगला अध्यक्ष कौन होगा?
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