रीवा,सतना और सीधी में बढ़ी बीजेपी की मुस्किलें,अब मोदी की गारंटी से उम्मीद
भारतीय जनता पार्टी ने विकास को जीत का आधार बनाया है और इसी लिए जनता के बीच मोदी की गारंटी दी जा रही है। लेकिन विंध्य की बात करें तो वहां पर मोदी की गारंटी पर अलग-अलग वर्गों का समीकरण भारी पड़ता नजर आ रहा है (vindhya news)। सबसे पहले सतना की बात करें तो बीजेपी ने गणेश सिंह को पांचवीं बार चुनाव मैदान में उतार कर यह बताने का प्रयास किया कि मोदी की गारंटी है तो सबकुछ मुमकिन है। लेकिन भाजपा ये भूल गई कि उनके खिलाफ कांग्रेस से वही उम्मीदवार चुनाव मैदान मे हैं जिन्होने विधानसभा चुनाव में गणेश सिंह को करारी शिकस्त दी थी। उसके इतर बात करें तो ब्राम्हण चेहरा नारायण त्रिपाठी सतना लोकसभा सीट से इस बार सभी को चौकाने वाले हैं क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ओबीसी वर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। सतना में बीएसपी का जक बड़ा वोटबैंक है जो आज भी बसपा पर विश्वास रखता है। नारायण त्रिपाठी के बीएसपी से चुनाव मैदान में उतरने का मतलब है कि उन्हे हरिजनों का वोट मिलेगा और ब्राम्हण वर्ग के लोगों का भी वोट मिलेगा। मतलब साफ है कि सतना की सीट पूरी तरह से भाजपा के हाथ से खिसकती नजर आ रही है। सीधी की बात करें तो वहां बीजेपी की तरफ से राजेश मिश्रा तो कांग्रेस से कमलेश्वर पटेल चुनाव मैदान पर हैं इन दोनों का गणित बिगाड़ने के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने गोंडवाना पार्टी से चुनाव मैदान में उतर कर बीजेपी को कठिनाई में डाल दिया है। वहीं रीवा की बात करें तो भाजपा ने दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा को फिर चुनाव मैदान में उतारा है और उनके खिलाफ कांग्रेस ने अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को चुनाव मैदान में उतार कर खलबली मचा दी है। इस सीट पर अगर बीएसपी ने कुर्मी को अपना उम्मीदवार बनाया तो रीवा की सीट बीजेपी के हाथ से खिसकने की पूरी उम्मीद है। कुल मिला कर विंध्य के राजनीति की बात करें तो यहां पर सामान्य वर्ग का प्रभुत्व रहा है। जब भी रीवा,सीधी और सतना में भाजपा और कांग्रेस ने एक ही वर्ग के लोगों को चुनाव मैदान में उतारा है तब-तब बीएसपी ने इन सीटों पर पटखनी देने का काम किया है।
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