सिंधिया समर्थक के लिए भाजपा ने अपने संविधान को किया शिथिल

मध्य प्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों को लेकर चली उठापठक का दौर अब समाप्त हो गया है। दो दिन से भाजपा लगातार जिला अध्यक्षों की घोषणा कर रही है। लेकिन इस बार की घोषणा में जिस प्रकार से भाजपा पदाधिकारियों को मथापच्ची करनी पड़ी है वो सबके सामने है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते थे जिसके कारण सूची में लगातार देरी होती चली जा रही थी। सोमवर देर रात जब भाजपा जिला अध्यक्षों की एक-एक करके सूची जारी होने का सिलसिला शुरु हुआ तो सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की सांसे थमी हुई थी। शिवपुरी से जसवंत जाटव के नाम की घोषणा हुई तो सभी कार्यकर्ताओं की भौहें तन गई। दरअसल जैसे ही जसवंत जाटव के नाम की घोषणा हुई तो भाजपा के संविधान का ख्याल लोगों के दिलो दिमांग में आ गया। जसवंत जाटव सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे। भाजपा की तरफ से जिला अध्यक्षों के लिए 6 साल की सक्रिय सदस्यता का प्राविधान है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि प्रदेश में यह पहला उदाहरण है जब भाजपा ने अपने संविधान में परिवर्तन करते हुए सिंधिया समर्थक को जिला अध्यक्ष बनाया है जिनकी 6 साल की सक्रिय सदस्यता नहीं है। गौरतलब है कि तीन दिन पहले केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब अचानक प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के निवास पर पहुंचे थे तभी माना जा रहा था कि यह कोई सामान्य मुलाकात नहीं है। यह राजनीतिक मुलकात है। आखिर जब जिला अध्यक्षों की घोषणा शुरु हुई तो सबके चेहरे सफेद हो चुके थे क्योंकि सिंधिया समर्थक के लिए भाजपा ने अपने संविधान में संशोधन कर दिया था। जिस प्रकार से भाजपा ने यह नियुक्ति की है उसके बाद पार्टी के कई नेताओं में नाराजगी भी लेखने को मिल रही है। पार्टी में सालों से काम कर रहे कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि दरी बिछाने के लिए वो पार्टी के कार्यकर्ता हैं और जब पद की बारी आए तो दूसरे दल से आए ब्यक्ति के लिए पार्टी अपने संविधान को बदलने में भी देरी नहीं करती है।
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