'अनिश्चितता' के भंवर में भाजपा के कार्यकर्ता,कार्यालय में छाया रहता है सन्नाटा

जिस भाजपा कार्यालय में रोजाना सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहते थे उसी भाजपा कार्यालय में पिछले कुछ समय से सन्नाटा पसरा रहता है। न कार्यकर्ता दिखाई पड़ते हैं और न ही पदाधिकारी दिखाई पड़ते हैं। दरअसल इस वक्त भाजपा के कार्यकर्ताओं के मन में घोर अनिश्चितता का दौर चल रहा है जिसकी वजह है नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन में देरी होना। एमपी बीजेपी ने मंडल और जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी अब बारी प्रदेश अध्यक्ष की है जिसकी घोषणा समय के साथ-साथ आगे बढ़ती जा रही है लिहाजा अब कार्यकर्ताओं के धैर्य का बांध फूटता जा रहा है। कार्यकर्ताओं का उत्साह निराशा में तब्दील होता जा रहा है इसी लिए अब भाजपा कार्यालय आने में कार्यकर्ता अथवा पदाधिकारी दिलचश्पी नहीं ले रहे। भाजपा के जो वर्तमान पदाधिकारी हैं उनके मन में हजारों सवाल चल रहे हैं उन्हे लग रहा है कि नया अध्यक्ष कौन होगा और जो आध्यक्ष होगा वो उनके मन का,पहचान वाला होगा या फिर केन्द्रीय नेत्रृत्व किसी ऐसे आदमी को अध्यक्ष के तौर पर न थोप दे जिससे उनकी बनती न हो। इस उधेड़बुन के चक्कर में जो वर्तमान पदाधिकारी हैं वो दिन भर यही पता लगाने में ब्यस्त रहते हैं कि अगला अध्यक्ष कौन होगा। जिससे उनके घर जाकर अभी से हाजिरी लगाई जा सके और उनके दिल में अपने लिए जगह बनाई जा सके। साथ ही वर्तमान पदाधिकारियों को इस बात का भी डर सता रहा है कि अध्यक्ष बदलते ही नई कार्यकारिणी बनेगी तो उसमें उन्हे क्या पद मिलेगा और वो नई कार्यकारिणी का हिस्सा रहेंगे भी य नहीं इस कारण वो कार्यालय आने के बजाय इधर-उधर नेताओं के बंगले झांक रहे हैं। पदाधिकारियों को जिन नेताओं के अध्यक्ष बनने की उम्मीद दिखती है उन सभी नताओं के बंगले पर हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं जिससे अध्यक्ष पद की घोषणा होने के बाद उनका काम आसान रहे। वहीं जो आम कार्यकर्ता हैं और अगली कार्यकारिणी में अपना स्थान बनाने की कोशिश में लगे हैं वो भोपाल में सभी प्रभावी नेताओं के घरों में चक्कर काटने के साथ ही दिल्ली तक सफर कर रहे हैं। कुछ नेता गुप्त तरीके से दिल्ली जाते हैं एकात नेता से दिल्ली में मुलाकात करते हैं और अगले दिन भोपाल आ जाते हैं। कुल मिला कर वर्तमान पदाधिकारी अपना पद बचाए रखने की जद्दोजहद में चल रहे हैं तो वहीं कार्यकर्ता अपना कद बढ़ाने के लिए नेताओं के बंगले झांक रहे हैं और उसी का नतीजा है कि जिला अध्यक्षों की जैसे ही घोषणा हुई और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कवायद शुरु हुई तो सारे नेता प्रदेश कार्यालय से नदारत हो गए और अपनी जुगाड़ लगाने में ब्यस्त हो गए।
What's Your Reaction?






