श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले कृष्ण मय हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव,कहा कृष्ण पाथेय देगा प्रदेश को नई पहचान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कृष्ण जन्माष्टमी से पहले कई महत्वपूर्ण बातें कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा के साथ उनके योगेश्वर बनने की गाथा मध्यप्रदेश में लिखी गई।कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भ्राता बलराम के साथ मथुरा से शिक्षा प्राप्ति के लिए महर्षि सांदीपनि की शरण में उज्जैन आये थे। नारायण (उज्जैन) में उनकी मित्रता सुदामा से हुई। श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता की मिसाल युग-युगांतर से है। भगवान श्रीकृष्ण से मित्रता की संसार को जो शिक्षा मिली, वह अनुकरणीय है। भगवान श्रीकृष्ण ने जिस जगह शिक्षा प्राप्त की थी, उनके गुरु सांदीपनि जी का आश्रम आज भी उज्जैन में विद्यमान है, जो भगवान श्रीकृष्ण के योगेश्वर बनने का साक्षात प्रमाण है। भगवान श्रीकृष्ण, सांदीपनि जी के गुरुकुल में 64 दिन रहे। इन 64 दिनों में 64 विद्या और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। चार दिन में 4 वेद, 18 दिन में 18 पुराण, 6 दिन में 6 शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मध्यप्रदेश सरकार ने राम वन-पथ-गमन की तरह अब "श्रीकृष्ण पाथेय" निर्माण का संकल्प लिया है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश में जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े थे, उन्हें तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे पूरी दुनिया को यह पता चलेगा कि भगवान श्रीकृष्ण का अटूट सम्बंध गोकुल, मथुरा, नंदगांव, वृंदावन और द्वारिका से ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश से भी है। विश्व के लोग यहां आकर इन तीर्थों का दर्शन कर पुण्य लाभ ले सकेंगे।
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