अधिकारियों कर्मचारियों को डीए देने से पहले रिटायरमेंट के बाद राहत देने के मूड में मोहन सरकार

प्रदेश के कर्मचारियों को डीए का तोहफा नहीं मिला लेकिन मोहन सरकार (mohan government) ने रिटायरमेंट के बाद एक बड़ी राहत का निर्णय जरुर लिया गया है। पता चला है कि शासकीय सेवा में रहते आर्थिक गड़बड़ी या पद के दुरुपयोग की शिकायतों पर चलने वाली विभागीय जांच अब सेवानिवृत्ति के पहले पूरी करनी होगी। इसके लिए प्रक्रिया तय करने वरिष्ठ अधिकारियों की समिति बनाई गई है, जो एक सप्ताह में मुख्य सचिव वीरा राणा को रिपोर्ट देगी। यह कदम सेवानिवृत्ति के बाद तक चलने वाली जांच को लेकर मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव (mohan yadav) की आपत्ति जताने के बाद उठाया गया है। दरअसल, हर कैबिनेट बैठक में पांच-सात प्रकरण अधिकारियों-कर्मचारियों की विभागीय जांच पर निर्णय के लिए आते हैं। कमल नाथ सरकार में ऐसे प्रकरणों को कैबिनेट में लाने के स्थान पर निर्णय के लिए सामान्य प्रशासन मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति बना दी थी लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद यह व्यवस्था बंद हो गई और फिर कैबिनेट में प्रकरण भेजे जाने लगे। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि जब यह पता होता कि जिसकी जांच चल रही है, वह कब सेवानिवृत्त हो रहा है तो फिर प्रकरण का निराकरण सेवा में रहते ही हो जाना चाहिए। यदि वह दोषी है तो सेवा में रहते ही वसूली आदि की कार्रवाई आसानी से की जा सकती है। कर्मचारी को भी बार-बार दूरदराज से आना नहीं पड़ेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन की मंशा को देखते हुए मुख्य सचिव के निर्देश पर समिति बनाई गई है जो सेवानिवृत्ति के बाद लंबित विभागीय जांच से संबंधित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण और सेवानिवृत्ति से पहले ही जांच प्रक्रिया पूरी करने की प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट देगी। समिति में अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार, डा.राजेश कुमार राजौरा, प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव और सचिव उमेश पांडव को शामिल किया है।

Feb 4, 2024 - 18:10
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