शासकीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर,नौ साल बाद पदोन्नति का रास्ता होगा साफ तीन फॉर्मूले बनेंगे आधार

मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों की पदोन्नति पर लगी रोक को हटाने की प्रक्रिया में प्रदेश की मोहन सरकार जुट गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले नौ साल से पदोन्नति पर रोक लगी है। इस दौरान प्रदेश में एक लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी पदोन्नति का इंतजार करते हुए रिटायर हो गए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में संकेत दिया है कि सभी वर्गों के अटके हुए प्रमोशन का समाधान खोजा जा रहा है। गौरतलब है कि राज्य में पदोन्नति पर रोक 2016 से लागू है। इसका कारण हाई कोर्ट द्वारा 30 अप्रैल 2016 को राज्य सरकार के 2002 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में आरक्षण प्रावधान को समाप्त करना था। इससे पहले पदोन्नत हुए कर्मचारियों के पदानवत (रिवर्ट) होने की स्थिति बन गई थी। सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की,लेकिन शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए सरकार तीन प्रकार के फॉर्मूले पर काम करने की योजना तैयार कर रही है। यदि कर्मचारी सहायक ग्रेड-3 के पद पर भर्ती हुआ है तो 10 वर्षों के बाद उसे सहायक ग्रेड-2 का पदनाम मिलेगा। 20 वर्शों में सहायक ग्रेड-1,30 वर्षों में सेक्शन ऑफिसर और 35 वर्षों में अंडर सेक्रेटरी का पदनाम मिल सकता है| इसी प्रकार से दो अन्य विकल्पों पर भी सरकार विचार कर रही है जिसका फॉर्मेट तैयार किया जा रहा है। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही शासकीय कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने के लिए पदोन्नति का रास्ता तैयार कर लेगी।
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