'कैडरबेस' भाजपा में 'कांग्रेसी' कल्चर,कार्यकर्ताओं में अनिश्चितता और असंतोष की स्थिति
जिस भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन की दुनिया भर में दुहाई दी जाती थी उसी भारतीय जनता पार्टी में आज पूरी तरह से कांग्रेसी कल्चर होता जा रहा है। भाजपा कार्यालय में पहले कभी भी नाराज कार्यकर्ताओं की भीड़ नहीं लगा करती थी और न ही खुल कर बयानबाजी हुआ करती थी लेकिन आज सबकुछ उसी भाजपा में देखने को मिलता है। बुंदेलखंड में भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच चल रही जुवानी जंग अब सतह में आ चुकी है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक यह बात आम है लेकिन अभी तक भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के मैटर को गंभीरता से नहीं लिया अथवा भाजपा के नेतृत्व की इस पूरे मामले को सुलझाने की हिम्मत नहीं पड़ रही क्योंकि मामला सिंधिया से जुड़ा है। बुंदेलखंड की राजनीति से अलग बात करें तो जिस प्रकार से मंडल अध्यक्षों के चुनाव को निष्पक्ष तरीके से कराने का दावा किया गया लेकिन उन सारे दावों की पोल उस वक्त खुलती नजर आई जब शनिवार को प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष के चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया। नाराज कार्यकर्ताओं का आरोप था कि विधायक के कहने से किसी को मी मंडल अध्यक्ष बना दिया गया है। जिसके कारण उन्हे भाजपा कार्यालय में विरोध दर्ज करने के लिए आना पड़ा है। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जाना है जिसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। हर कार्यकर्ता यही कहता नजर आता है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा और किस वर्ग से होगा। जो प्रदेश अध्यक्ष होगा वो उनके मन का होगा य फिर बिना मन का। तरह-तरह से भाजपा कार्यकर्ता अलग-अलग बातें करते नजर आ रहे हैं।
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