नुक्कड़ नाटक में 'मदारी' बने कांग्रेस नेता, जमीन पर लेटा कुंभकरण बोला मै सरकार हूं

मध्य प्रदेश विधानसभा में इन दिनों सदन कम नाटक ज्यादा देखने को मिलते हैं। जिस प्रकार से कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा परिसर के बाहर नुक्कड़ नाटक की परंपरा शुरु की है वो अपने आप में दर्शाता है कि सियासत का स्तर कहां चला गया है। नेता कहते हैं हम 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और फिर विधानसभा करिसर में बीन लेकर पहुंच जाते हैं। जिस प्रकार से 20 मार्च को विधानसभा के बाहर नुक्कड़ नाटक का आयोजन हुआ उससे यह स्पष्ट हो गया कि इन नेताओं सिर्फ राजनीति ही नहीं नुक्कड़ नाटक करना भी आता है। कांग्रेस नेताओं ने बजट सत्र के पहले दिन से ही अलग-अलग नाटक किया। लेकिन सभी नाटकों में कांग्रेस के सभी पात्र भी शामिल नहीं हुए। विधानसभा के दौरान उमंग सिंघार कांग्रेस अलग देखने को मिली तो वहीं पटवारी कांग्रेस अलग दिखी और तीसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह (राहुल) अलग थलग पड़े रहे। सदन में एक बार भी अजय सिंह अपने साथी विधायकों के साथ खड़े नजर नहीं आए अथवा उन्हे कांग्रेस ने अपने नुक्कड़ नाटक में शामिल नहीं किया। जयवर्धन सिंह भी उमंग सिंघार के किसी भी नुक्कड़ नाटक का हिस्सा नहीं बने। इन नेताओं के लिए उमंग सिंघार के पास कोई रोल नहीं था य फिर इन्होने उनकी नाटक मंडली में शामिल होने से इंकार कर दिया इस बात का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है। यहां एक और बात भी है कि सदन के अंदर तो कांग्रेस पार्टी के विधायक वो प्रभाव नहीं छोड़ पाए लेकिन सदन के बाहर कांग्रेस विधायकों ने नुक्कड़ नाटक कर मीडिया में जमकर सुर्खियां बटोरी। अब सवाल इस बात का उठता है कि राजनीति करने वाले नेता क्या मदारी बन कर इसी तरह बीन बजाएंगे,क्या इनके पास सरकार को जगाने का कोई और तरीका नहीं है। अथवा इस प्रकार के नुक्कड़ नाटक जैसे प्रदर्शन कर कांग्रेस के नेता सिर्फ सुर्खियों में ही बने रहना चाहते हैं।
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