एमपी के संविदा कर्मियों ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने की उठाई मांग,वित्त विभाग अधिकारियों से कर रहा चर्चा

भारत सरकार की ओर से लाई जाने वाली यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लेकर मध्य प्रदेश के कर्मचारी उत्साहित हैं। कर्मचारी नेताओं के अनुसार, नई स्कीम में न्यूनतम पेंशन की गारंटी के साथ वो सभी सुविधाएं मिलेंगी, जो राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन में मिलती हैं। यही कारण है कि सभी कर्मचारी संगठनों ने स्कीम का स्वागत किया है बल्कि सरकार से मांग करते हुए कहा है कि न्यू पेंशन स्कीम में प्रदेश के जो साढ़े चार लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी हैं, उन्हें इसका लाभ दिया जाए। नई योजना को प्रदेश में लागू करने से पहले इससे खजाने पर पड़ने वाले असर का परीक्षण सरकार वित्त विभाग से कराएगी। न्यू पेंशन स्कीम वर्ष 2004 से लागू है। इसमें कर्मचारियों को 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है। सरकार अपनी ओर से 14 प्रतिशत राशि मिलाती है। सेवानिवृत्त होने पर इसी राशि से पेंशन बनती है, जो ओल्ड पेंशन की तुलना में कम रहती है। इसी कारण से इसका विरोध हुआ और चुनाव में मुद्दा भी बना। अब भारत सरकार जो यूनिफाइड पेंशन स्कीम लेकर आई है, उसमें न्यू पेंशन स्कीम की सभी कमियों को दूर किया गया है। प्रदेश में नई स्कीम लागू करने की मांग मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखकर योजना को मध्य प्रदेश में भी लागू करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार मूल वेतन का साढ़े 18 प्रतिशत अंशदान अपने खाते से जमा करेगी। न्यू पेंशन स्कीम के जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। इसी तरह संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने निगम, मंडल और सार्वजनिक उपक्रम के कर्मचारी के लिए भी लागू करने की मांग की। उधर, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि योजना का मध्य प्रदेश के संदर्भ में वित्त विभाग से परीक्षण कराकर नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
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