ग्वालियर-चंबल के दलित मतदाता भाजपा पर नहीं कर रहे विश्वास,लोकसभा चुनाव की समीक्षा में सामने आई बात

दलितों का विश्वास जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने हर संभव प्रयास किया लेकिन ग्वालियर-चंबल का दलित वोटर भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास नहीं कर रहा है| लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी 29 सीटें जीती हैं लेकिन उसके बाद जब समीक्षा की गई तो पता चला कि ग्वालियर-चंबल के दलित वर्ग ने भाजपा पर विश्वास नहीं दिखाया है| भाजपा का संगठन इस बात से हैरान है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कांग्रेस के कई दलित नेताओं के भाजपा में आने के बाद भी ग्वालियर-चंबल में यह वर्ग भाजपा के साथ क्यों नहीं आ रहा है| पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में तीनों संसदीय सीटों ग्वालियर,मुरैना और भिंड को जीतने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ा| तीनों ही भाजपा की पारंपरिक सीटें है लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से यहां दलित वर्ग के भाजपा से दूरी बना लेने के बाद पार्टी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है| गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे इस क्षेत्र की बड़ी संख्या में दलित समुदाय के मतदाता हैं| पिछले कुछ वर्षों से यहां बहुजन समाज पार्टी की पकड़ कमजोर होने के बाद से यह वर्ग कांग्रेस के साथ चला गया है| भारतीय जनता पार्टी अब इस समीकरण को बदलने के लिए एकबार फिर प्रयास कर रही है| दलित वर्ग को जोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी का संगठन अलग से रणनीति बना रहा है जिससे दलितों को एकबार फिर से भाजपा के साथ जोड़ा जा सके|
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