मोहन सरकार के मंत्रियों की परफॉर्मेंस में गिरावट,पांच महीने में मंत्रियों के क्षेत्र में गिरा 22 प्रतिशत मतदान,राजेन्द्र शुक्ला सहित कई मंत्रियों पर संगठन की नजर
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच महज पांच महीने का अंतर है लेकिन जिस प्रकार से वोटिंग प्रतिशत गिरा है वो किसी के गले नहीं उतर रहा है| कास कर जिस प्रकार से मोहन सरकार में मंत्रियों के क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत गिरा है उससे भाजपा का संगठन भी हैरान है| जब इस पूरे मामले में Mukhbirmp.com की टीम ने पड़ताल की तो चौकाने वाले तत्थ्य सामने आए| गौरतलब है कि 29 लोकसभा सीटों पर 66.87 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया| महज पांच माह पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव में हजारों के अंतर से जीतने वाले मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र में हुए मतदान की तुलना हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से की जाए तो इसमें 22 प्रतिशत की गिरवाट आई है| सबसे बड़ी गिरावट मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी के निर्वाचन क्षेत्र जबेरा में हुई| यहां विधानसभा चुनाव में 80.36 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था,जो लोकसभा चुनाव में घट कर 58.39 प्रतिशत रह गया| यानि 21.97 प्रतिशत की गिरावट आई| इस दृष्टि से सबसे बेहतर प्रदर्शन वन मंत्री नागर सिंह चौहान की विधानसभा सीट अलीराजपुर में रहा| यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मतदान में अंतर केवल 1.4 प्रतिशत रहा| भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में मतदान बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी| मतदान केन्द्र स्तर पर पन्ना और अर्ध पन्ना प्रभारियों को उतारा गया था| घर-घर संपर्क का दौर चला और मतदान के दिन एक-एक मतदाता की चिंता की गई| इसके बाद भी मंत्री अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदान को संभाल नहीं पाए| मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान घट गया| डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के क्षेत्र में भी मतदान में आई गिरावट ने उनकी कार्यक्षमता पर सवाल खड़ा कर दिया है तो वहीं जगदीश देवड़ा और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गजों के क्षेत्र में भी वोटिंग प्रतिशत की गिरावट ने संगठन की चिंता बढ़ा दी है| राकेश सिंह,गोविंद सिंह राजपूत,राव उदय प्रताप सिंह और प्रहलाद पटेल जैसे सियासत के महारथी वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर असरदार सबित नहीं हो पाए|
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