डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा अपने क्षेत्र तक सिमटे,प्रदेश में नहीं करते दौरा जानिए पूरा मामला

भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को एमपी में सरकार का चेहरा बदलना था तो जो सीएम बनने की दौड़ में थे उन्हे डिप्टी सीएम बना दिया और ओबीसी वर्ग की संख्या को देखते हुए डॉ. मोहन यादव को सीएम बना दिया गया। जिन्हे डिप्टी सीएम बनाया गया उनसे अपने वर्ग में पैठ मजबूत बनाने के लिए कहा गया था। जैसे राजेन्द्र शुक्ल ब्राह्मण वर्ग से आते हैं तो उन्हे ये भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि आपको प्रदेश की अलग-अलग विधानसभा सीटों का दौरा कर ब्राह्मणों और अन्य सामान्य वर्ग के बीजेपी पैठ बनाए रखना है जिससे पार्टी का जनाधार बना रहे। ठीक इसी प्रकार जगदीश देवड़ा को भी डिप्टी सीएम बनाया गया था कि एससी वर्ग के बीच वो पैठ बनाएंगे और प्रदेश की अलग-अलग विधानसभा सीटों का दौरा करेंगे लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व की अपेक्षा में दोनो डिप्टी सीएम खरे नही उतर पाए। दोनों डिप्टी सीएम अपने क्षेत्र में सीमित होकर रह गए। दोनों डिप्टी सीएम अब तक प्रदेश में कहीं भी सक्रिय नजर नहीं आए हैं। पार्टी ने इन दोनो डिप्टी सीएम से जो भी अपेक्षाएं की उन अपेक्षाओं पर दोनों डिप्टी सीएम अभी तक खरे नहीं उतर पाए हैं। राजेन्द्र शुक्ल की स्थिति तो ये है कि वो अपने क्षेत्र के लोगों से मिलना तक पसंद नहीं करते हैं। उनके निवास पर सिर्फ वीवीआईपी लोगों को महत्व दिया जाता है। आम नागरिक उनके निवास अमहिया जाए तो उसे किसी प्रकार से महत्व नहीं दिया जाया है। यही कारण है कि रीवा की जनता खुद को ठगा सा महसूस करती है और अन्य नेताओं के दरवाजे के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है।
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