यूं ही नहीं कहलाते 'संकटमोचक' हारी बाजी को जीतने का नाम है डॉ. नरोत्तम मिश्रा

Apr 15, 2025 - 08:02
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यूं ही नहीं कहलाते 'संकटमोचक' हारी बाजी को जीतने का नाम है डॉ. नरोत्तम मिश्रा

मप्र की सियासत का एक ऐसा चेहरा जो शेरो शायरी के साथ किसी भी विरोधी को अपना बनाने की कला रखता है। हारी हुई बाजी को कैसे जीतना है ये डॉ. नरोत्तम मिश्रा को बखूबी आता है। विधानसभा के अंदर हो अथवा चुनाव का मैदान जहां भी होते हैं अपनी जोरदार उपस्थिति से किसी को भी चारों खाने चित करने की कला डॉ. नरोत्तम मिश्रा में है। साल 2019 में जब भाजपा की सरकार गई तो 'आपरेशन लोटस' में मुख्य नायक के रुप में सामने आए और बताया कि उनको यूं ही संकट मोचक नहीं कहा जाता है। जिस प्रकार से आपरेशन लोटस में डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भूमिका निभाई और गई हुई सरकार को विरोधियों के जबड़े से छीन लाए उसकी हकीकत आज भी विरोधी खेमे के लोग नहीं जान पाए कि इतना बड़ा खेला कैसे हो गया। सदन में कमलनाथ जैसे नेता द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष को कैसे धराशाही किया जाता है ये कला डॉ. नरोत्तम मिश्रा को आती है। यही खूबियां उनके लिए गले की फांस भी बनती हैं और उन्ही के खेमे के लोग खुद को उनसे असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। साल 2023 में वो विधानसभा का चुनाव भले हार गए लेकिन उनके कद और ब्यक्तित्व में कोई बदलाव नहीं आया। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व हो अथवा प्रदेश का नेतृत्व जहां भी उन्हे जिम्मेदारी सौपता है उसे वो ईश्वर का आदेश मान कर पालन करते हैं और तब तक लगे रहते हैं जब तक मंजिल तक नहीं पहुंच जाते। साल 2024 लोकसभा चुनाव की बात आती है तो डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम कम लिया जाता है जबकि विरोधी खेमें को उन्होने पूरी तरह खत्म कर दिया। ज्वाइनिंग कमेटी का उन्हे भाजपा ने संयोजक क्या बनाया मानो कांग्रेस को खत्म करने की भाजपा संगठन ने उन्हे सुपारी दे दी हो। जिस प्रकार से प्रदेश के हर जिले और विधानसभा में डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस में सेंध लगाने का काम किया वो अविष्मर्णीय है। लोकसभा का चुनाव होते-होते डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के करीब छह लाख कार्यकर्ताओं और नेताओं को भाजपा में शामिल करा कर कांग्रेस की कमर तोड़ दी। नतीजा ये निकला कि चुनाव के दौरान को पोलिंग बूथों में एजेंट बनाने तक के लिए कार्यकर्ता नहीं मिले और भाजपा ने पहली बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश में क्लीन स्वीप कर इतिहास रच दिया। इतना ही नहीं उनकी पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र और फिर दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ड्यूटी लगाई गई जहां उन्होने अपेक्षित परिणाम लाकर पार्टी की अपेक्षाओं को पूरा किया। डॉ. नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा चुनाव में हार के कारण कुछ भी हो सकते हैं लेकिन भाजपा के लिए वो एक ऐसे अजेय योद्धा की तरह हैं जिन्हे किसी भी मैदान में खड़ा कर दो वो डटे रहेंगे और जब तक काम पूरा नहीं होगा तब तक अपना कदम नहीं हटाते हैं इसी लिए उन्हे पार्टी का संकटमोचक कहा जाता है। तो पार्टी और सरकार के किसी भी संकट का मोचन करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

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