सब की अपनी-अपनी भाजपा,नहीं सुलझा अध्यक्षों का पेंच,वरिष्ठ नेताओं ने रुकवाई सूची

Jan 8, 2025 - 08:03
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सब की अपनी-अपनी भाजपा,नहीं सुलझा अध्यक्षों का पेंच,वरिष्ठ नेताओं ने रुकवाई सूची

मध्य प्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों का पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। सिंधिया,शिवराज,कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल के जिलों में अध्यक्ष का चुनाव गुटबाजी की भेंट चढ़ गया है। और यही कारण है कि भाजपा के जिला अध्यक्षों की सूची भाजपा अब तक जारी करने में नाकाम रही है। Mukhabirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार अगले एक दो दिनों तक अभी भाजपा के जिला अध्यक्षों का पेंच नहीं सुलझने वाला है। भाजपा के आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं में एक राय नहीं बन पाने के कारण जिला अध्यक्षों की सूची में पेंच फंस गया है। हर बड़ा नेता अपने क्षेत्र में अपनी पसंद का और करीबी ब्यक्ति को जिला अध्यक्ष बनाने की जिद ठान कर बैठा है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में कई दौर की बैठकें हुई और नेताओं को एक-एक करके उनकी राय लेने का भी जमकर प्रयास किया गया। सभी नेताओं के बीच समन्वय भी बनाने की कोशिश हुई लेकिन एकजुटता की बात करने वाले भाजपा के नेता जिला अध्यक्ष को लेकर एकराय नहीं हो पाए। चुनाव प्रभारियों ने जिन नेताओं के नाम दिए वो अलग हैं और वरिष्ठ नेता जिन नामों को दे रहे हैं वो अलग हैं। इस बीच भाजपा में नेता संगठन से ऊपर जाने की कोशिश में लगे हैं और संगठन को यही बात मंजूर नहीं है जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी अब तक जिला अध्यक्षों की सूची जारी करने में नाकाम साबित रही है। मामला दिल्ली दरबार तक भी पहुंचा है। पिछले चार दिन से भाजपा के नेता दिल्ली के नेतृत्व का इंतजार कर रहे हैं कि वहां से सही फैसला होगा लेकिन वहां के नेता भी एमपी बीजेपी के नेताओं के दबाव में नजर आने लगे हैं। दरअसल बीजेपी बरिष्ठ नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती और नए कार्यकर्ता तो अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ रहे हैं उनको छोड़ना नहीं चाहती जिसके चलते भाजपा का बैलेंस ठीक नहीं हो पा रहा है। अभी तक कांग्रेस को गुट और गिरोह में बंटे होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी में ही कई सारे गिरोह बन गए हैं जो भाजपा के लिए समस्या का सबब बने हुए हैं। खासकर विधानसभा चुनाव के दौरान एमपी बीजेपी में दिल्ली से पांच नेताओं को भेजा गया था जो आज मोहन सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं। और वो अपनी भाजपा अलग चला रहे हैं। सभी नेताओं की अपनी-अपनी भाजपा होने के कारण एमपी बीजेपी में एकराय नहीं बन पा रही और अध्यक्षों का मामला फंसा हुआ है।

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