भाजपा और कांग्रेस के एजेंडे में नहीं सामान्य वर्ग,हरियाणा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने एससी,एसटी और ओबीसी का लिया नाम सवर्ण का नहीं किया जिक्र
चुनाव जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस वक्त हर समाज में जातीय जहर घोलने का काम कर रही हैं| भाजपा और कांग्रेस एससी,एसटी और पिछड़े वर्ग की बात तो करती हैं लेकिन इनके एजेंडे में कभी सामान्य वर्ग नहीं होता है| ऐसा लगता है कि जैसे भारत में सामान्य वर्ग नाम की कोई जाति नहीं बची है| बड़े नेताओं के भाषणों में हमेशा यही बताया जाता है कि दलित और पिछड़ों के साथ अन्याय हुआ वो गरीब हैं| अब सवाल इस बात का उठता है कि क्या देश में सामान्य वर्ग गरीब नहीं है| जितनी योजनाएं संचालित हो रही हैं वो सभी दलित और पिछड़े वर्गों को लेकर ही संचालित हो रही हैं| सभी पार्टियों की नीतियों को देख कर ऐसा लगता है जैसे सामान्य वर्ग को पिछड़ा बनाने की योजना चल रही हो| और चुनाव में जब किसी प्रकार की समस्या आती है तो उन्ही पार्टियों में मौजूद सामान्य वर्ग के नेताओं को ही यह पार्टियां आगे रख कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने लगती हैं| हाल ही में हरियाणा में विधानसभा चुनाव की जीत में हैट्रिक लगाने के बाद दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में पीएम मोदी का करीब एक घंटे तक भाषण चला जिसमें उन्होने कई बातें कही| पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर कोसा वो ठीक है उनका राजनीतिक विरोध समझ में आता है लेकिन इस बीच पीएम मोदी ने कहा कि दलित,आदिवासी और पिछड़े वर्ग का विकास करना उनका एक मात्र लक्ष्य है| पीएम मोदी के इस बयान पर शायद किसी ने ध्यान नहीं दिया अथवा ध्यान देकर भी सभी ने उस बात पर गौर नहीं किया| अन्य जातियों का विकास करना अच्छी बात है सभी जातियों का विकास होना चाहिए लेकिन क्या इस आधार पर कि सामान्य वर्ग को पिछड़ा बना दिया जाए| देश में करोड़ों की संख्या में सामान्य वर्ग ऐसे हैं जो रोटी,कपड़ा और मकान के लिए आज भी सरकार की ओर देख रहे हैं लेकिन उन पर सरकारों की नजर नहीं जा रही है| हर राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ता जा रहा है सामान्य वर्ग के लिए नौकरी नसीब नहीं हो रही है| अब तो राजनीति में भी आरक्षण लागू होने लगा है जातियों के आधार पर मंत्रालवय बांटे जा रहे हैं यहां तक की सीएम और पीएम के पद का भी बंटवारा योग्यता के अधार पर नहीं बल्कि जाति के आधार पर दिए जा रहे हैं| हर पार्टी बगैर जातीय जनगणना के यह कह रही है कि देश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वर्ग है अब सवाल इस बात का उठता है कि जब जातीय जनगणना नहीं हुई तो इस बात का फैसला कहां से हो गया कि सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग है उसके बाद एससी और एसटी की संख्या है| बात कहीं से भी शुरु हो नेताओं के भाषण में कभी भी सामान्य वर्ग शामिल नहीं होता है| अगर किसी नेता ने अपने भाषण में भूले बिसरे सामान्य वर्ग का नाम ले भी लिया तो वो यही बताएगा कि सामान्य वर्ग ने पिछड़ों,दलितों का सोशण किया है| पूरे देश में सामान्य वर्ग सबसे जागरुक समाज में आता है इतने राजनीतिक विरोध के बीच भी सामान्य वर्ग खुद की उपेक्षा देख शांत है वो इस लिए कि देश में शांति बनी रहे लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही हैं| जिस प्रकार से राजनीतिक पार्टियों ने सामान्य वर्ग को उपेक्षित करने का बीड़ा उठाया है उससे यह स्पष्ट है कि एक दिन सामान्य वर्ग इन सभी बातों को लेकर एकजुट होगा और जिस दिन ब्राह्मण,ठाकुर,बनिया और लाला एकजुट हो गए उस दिन देश में एक बड़ी क्रांति का आगाज हो जाएगा|
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