पीढ़ी परिवर्तन से 'नमो शिव' को नहीं पड़ेगा फर्क अंत में 'कमल' को ही थामेंगे युवा!
मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी को 'नमो शिव' का ही सहारा है। दरअसल जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी चुनाव में पिछड़ रही थी उसको देखते हुए केन्द्रीय नेतृत्व ने ऐसी योजना तैयार की जिसमें कांग्रेस के सारे आरोप धराशाही हो गए। कांग्रेस ने जो भी प्लान तैयार किया उसको पीएम मोदी और सीएम शिवराज (Shivraj Singh Chouhan) ने ध्वस्त करके रख दिया। लगातार भाजपा में और आम जनता के बीच सीएम चेहरे को लेकर बात उठती रही है लेकिन हकीकत यही है कि केन्द्र में मोदी और एमपी में शिवराज सिंह चौहान के चेहरे का अभी तक भाजपा के पास कोई विकल्प नहीं है। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व खुल कर नहीं लेकिन दबी जुवान यह स्वीकार करता है कि एमपी का चुनाव जिस लेवल पर पहुंच गया है वहां पर शिवराज सिंह चौहान के अलावा भाजपा की सरकार को कोई दूसरा नहीं चला सकता। हाल ही में भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav) ने पत्रकारों से अनौपचारिक बात करते हुए इस बात के संकेत दिए कि विकल्प क्या है। दरअसल भूपेन्द्र यादव से पूछा गया था कि जब शिवराज जी सीएम बने थे उस दौरान जो बच्चे चार या पांच साल के थे आज वही बच्चे बीस 22 साल के हो चुके हैं लिहाजा प्रदेश में पीढ़ी परिवर्तन के चलते चेहरा बदलने की मांग उठ रही है। इस मामले में प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने सहमति जताते हुए बड़ा सधा हुआ जवाब दिया। भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पीढ़ी परिवर्तन हुआ है लेकिन आज की पीढ़ी 60 साल और 80 साल के नेता में फर्क करना नहीं जानती क्या? भूपेन्द्र यादव ने राज्य सरकार की कुछ योजनाओं के भी नाम गिनाए जिसमें उन्होने कहा कि प्रदेश में शिवराज सरकार ने जिस प्रकार से युवाओं के लिए अलग-अलग योजनाएं शुरु की है जिसमें 'सीखो-कमाओ' जैसी योजना चल रही है बच्चे सीख भी सकते हैं और उस दौरान कमा भी सकते हैं। साथ में अन्य और योजनाएं हैं जो प्रदेश की शिवराज सरकार ने लांच की है इसके अलावा युवाओं को शासकीय नौकरी के लिए वैकेंसी भी निकाली जा रही है ऐसी स्थिति में कोई युवा क्यों कमलनाथ का साथ देगा। बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी ने एक और बड़ी बात कही जिसके अंतर्गत उन्होने कहा कि कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार पर काफी बात हो रही है लेकिन गुजरात और यूपी में भाजपा जीती उसकी बात कोई नहीं कर रहा है। गुजरात भी एमपी की सीमा से लगा है और यूपी भी एमपी की सीमा से लगा है। इन राज्यों में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की उसके लिए कोई बात नहीं कर रहा है। कर्नाटक की भाषा अलग है कल्चर अलग है सभी चीजें एमपी से अलग हैं लिहाजा कर्नाटक की तुलना एमपी से करना ठीक नहीं है। इस बीच बीजेपी प्रदेश चुनाव प्रभारी ने अच्छा करफॉर्मेंस नहीं करने वाले विधायकों के टिकट खुल कर प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन उनकी बातों में यह इशारा था कि नाराजगी स्थानीय विधायकों को लेकर है लिहाजा दूसरे कार्यकर्ताओं को टिकट देकर उस नाराजगी को खत्म कर दिया जाएगा। ऐसी कोई वजह ही नहीं छोड़ी जाएगी जिससे भाजपा को चुनाव जीतने में दिक्कत आए। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी बूथ सम्मेलनों में ब्यस्त है और भाजपा का मानना है कि पार्टी का कार्यकर्ता खुश रहेगा तो पार्टी की जीत को कोई नहीं रोक सकता। भूपेन्द्र यादव साफ कहते हैं कि भाजपा एमपी में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। ऐसा कोई ठोस कारण बता दे जिसमें यह स्पष्ट हो रहा हो कि जनता भाजपा को वोट नहीं देगी। जिस प्रकार से शिवराज जी के नेतृत्व में एमपी ने विकास की गति पकड़ा है जनता उसको कभी अनदेखा नहीं कर सकती है लिहाजा एमपी में 'नमो शिव' का जादू कायम रहेगा और सरकार भाजपा की ही बनेगी।
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