शासकीय कर्मचारियों ने बजट में मंहगाई भत्ते का प्रावधान नहीं होने पर जताई नाराजगी,बांकी बजट का किया स्वागत
मोहन सरकार ने बुधवार को अपना पहला बजट सदन में पेस किया| इस बजट से शासकीय कर्मचारियों को काफी उम्मीदें थी लेकिन मोहन सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को निराश करने का काम किया है| दरअसल केन्द्र की तुलना में शासकीय कर्मचारियों को दो फीसदी कम मंहगाई भत्ता मिल रहा है| जिसके कारण केन्द्र की तुलना में मप्र के शासकीय कर्मचारियों को हर महीने चार से पांच हजार रुपये का नुकसान हो रहा है| प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से काफी उम्मीदें थीं| माना जा रहा था कि जब सदन में प्रदेश का पूर्णकालिक बजट पेस किया जाएगा तो उसमें शासकीय कर्मचारियों के लिए प्राविधान किया जाएगा लेकिन जब उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट का पिटारा खोला तो उसमें शासकीय कर्मचारियों के लिए कुछ भी नहीं था| बांकी बजट में हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है| बजट के दौरान शासकीय कर्मचारियों को यह उम्मीद भी थी कि पदोन्नति को लेकर भी राज्य सरकार कुछ फैसला करेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ| प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जिन्होने जिस पद पर नौकरी शुरु की थी उसी पद पर रहते हुए वो रिटायर हो गए अथवा रिटायर होने वाले हैं ऐसे में शासकीय कर्मचारियों को राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी है| एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब भी प्रशासनिक अमले में कसावट लाने की बात होती है तो पक्ष और विपक्ष एक साथ हो जाते हैं लेकिन जब शासकीय कर्मचारियों को सुविधाएं देने की बात आती है तो पक्ष और विपक्ष सभी मौन हो जाते हैं| ऐसा लगता है कि जैसे शासकीय कर्मचारी सरकार का हिस्सा न होकर जैसे किसी नजी एजेंसी के कर्मचारी हैं जिन्हे जब चाहा फटकार दिया और जैसे चाहा वैसे काम करवा लिया| एक शासकीय कर्मचारी का तो यहां तक कहना है कि राज्य सरकार की नजर में शासकीय कर्मचारियों की कोई इज्जत ही नहीं है| सरकार ने एक धारणा बना ली है कि शासकीय कर्मचारी काम नहीं करते हैं और अगर शासकीय कर्मचारी काम नहीं करते हैं तो प्रदेश सरकार की जनहितकारी योजनाओं को धरातल में कौन उतारता है सरकार यह भी बताए| कुल मिला कर राज्य सरकार की ओर से पेस किए गए बजट से शासकीय कर्मचारियों के बीच काफी नाराजगी देखने को मिल रही है|
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