शासकीय कर्मचारी बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन,गुप्त रुप से चल रही लाविंग,4% डीए की मोहन सरकार ने नहीं ली गारंटी
लोकसभा का चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर है। मोदी के चेहरे पर भाजपा के नेता लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन एमपी सरकार (mp government) ने जिस प्रकार से शासकीय कर्मचारियों (government employees) को तड़पा-तड़पा कर चार फीसदी डीए दिया है उससे प्रदेश के शासकीय कर्मचारी खासे नाराज हैं। प्रदेश की मोहन सरकार के चार फीसदी डीए देने के बाद भी राज्य सरकार के कर्मचारी केन्द्रीय कर्मचारियों की तुलना में उनसे चार फीसदी डीए कम पा रहे हैं। वर्तमान में राज्य के शासकीय कर्मचारी 46 प्रतिशत के हिसाब से डीए पा रहे हैं तो वहीं केन्द्रीय कर्मचारी 50% के हिसाब से मंहगाई भत्ता पा रहे हैं। मतलब हर कर्मचारी को हर महीने में चार से पांच हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे में मोदी की गारंटी पर शासकीय कर्मचारी किस प्रकार से विश्वास कर आएंगे। Mukhbirmp.com की टीम ने प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के संगठनों से संपर्क किया तो चुनाव आचार संहिता के चलते उन्होने खुल कर तो नहीं बोला लेकिन नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिस प्रकार से राज्य सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है उससे सभी शासकीय कर्मचारियों में भाजपा सरकार के प्रति काफी नाराजगी है। और वो नाराजगी कहीं न कहीं तो दिखेगी और चुनाव से बेहतर कोई और प्लेटफार्म नहीं हो सकता। गौरतलब है कि जिस प्रकार से भाजपा प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रही है उसमें अगर प्रदेश के साढ़े सात लाख से ज्यादा शासकीय सेवकों ने कहीं भाजपा से किनारा किया तो उसमें भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। प्रदेश की मोहन सरकार ने चुनाव आचार संहिता लगने के ठीक दो दिन पहले राज्य के शासकीय कर्मचारियों को चार फीसदी डीए देने का ऐलान किया था। जिसके तहत महंगाई भत्ता 42% से बढ़कर 46% हो गया है। आदेश में वित्त विभाग ने कहा है कि कर्मचारियों को एक जुलाई 2023 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता स्वीकृत किया जाता है। अब शासकीय कर्मचारियों का मानना है कि चुनाव था इसलिए चार फीसदी मंहगाई भत्ता दे दिया गया है। लेकिन वो फिर भी केन्द्र से चार फीसदी पीछे हैं। और चुनाव समाप्त होने के बाद अब सरकार उनके बचे हुए चार फीसदी मंहगाई भत्ते को देगी या नहीं देगी इसकी गारंटी मोहन सरकार ने नहीं ली है इसलिए कर्मचारी सोच में हैं कि वो भाजपा को वोट कैसे दें क्योंकि उसी भाजपा की प्रदेश में सरकार है जिसने अब भी उनका चार फीसदी मंहगाई भत्ता रोक रखा है।
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