अधिकारियों को सरकार दे रही प्रमोशन,कर्मचारी इंतजार करते-करते हो रहे रिटायर,कार्यवाहक प्रभार देकर किया जा रहा संतुष्ट

पिछले साढ़े पांच साल से अपने प्रमोशन का इंतजार करते-करते लाखों कर्मचारी रियार हो गए लेकिन उन्हे राज्य सरकार ने प्रमोशन नहीं किया| प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षम का मामला ऐसे उलझा है कि पिछले साढ़े पांच साल से कर्मचारी पदोन्नति के लिहे मुंह ताक रहे हैं जबकि आइएएस, आईपीएस और एइएफएस को को समय पर पदेन्नति मिल रही है| कर्मचारियों का आरोप है कि आधिकारियों की पदोन्नति प्रभावित नहीं होने के कारण ही कर्मचारियों की सशर्त पदोन्नति का रास्ता नहीं खुल रहा है| चार साल में करीब 80 हजार कर्मचारी बगैर पदोन्नति के रिटायर हो गए हैं| गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया था| राज्य सरकार इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट चली गई और न्यायालय ने यथास्थिति (स्टोटस को) रखने का आदेश दे दिया और प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है| राज्य सरकार तब से सुप्रमीकोर्ट में अपना पक्ष रख रही है और प्रमोशन में आरक्षण के अंतिम निर्णय के इंतजार में है| सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण के मामले में अर्जेंट हियरिंग भी हो चुकी है,लेकिन कोई हल नहीं निकल सका| दूसरी तरफ कर्मचारियों ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार कोर्ट में सही से अपना पक्ष नहीं रख रही है ताकि इस मामले को ज्यादा से ज्यादा समय तक टाला जा सके| कर्मचारियों में विद्रोह की आग न भड़कने पाए इस लिए सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है और उन्हे कार्यवाहक का प्रभार सौंप कर संतुष्ट किया जा रहा है|
What's Your Reaction?






