20 हजार संविदाकर्मियों की ग्रेड-पे कर दी गई कम,दस हजार कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका,पांच अधिकारियों के खिलाफ जारी हुआ वारंट

मप्र के एक लाख 50 हजार संविदा कर्मियों को सीपीआई इंडेक्स के आधार पर वेतन देने के मामले में हड़कंप के बीच वेतन और ग्रेड पे- कम करने के मामलों ने तूल पकड़ लिया है| इन मामलों में सिर्फ एक साल में सिर्फ एक साल में दस हजार कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंचे हैं| ऐसे ही एक मामले में स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन एसीएस सहित पांच अफसरों के खिलाफ वारंट जारी होने के बाद वो सभी विभाग हरकत में आ गए,जिसमें संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं| इन विभागों ने संविदा को लाभ देने से संबंधित जानकारी मांगी है| गौरतलब है कि शिवराज सरकार ने संविदा कर्मियों के लिए पॉलिसी बनाई थी| इस पॉलिसी में संबंधित पद का 100 प्रतिशत वेतनमान देने का फैसला हुआ था| ज्यादातर कर्मचारियों को यह वेत मिल भी गया,लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कुछ विभागों में कुछ कर्मचारी छूट गए,जो कोर्ट की शरण में चले गए हैं| ऐसे ही इंदौर में पदस्थ स्वास्थ विभाग के कर्मचारी पार्थन पिल्लई को वेतनमान नहीं दिया गया| पिल्लई की बात अधिकारियों ने नहीं सुनी तो वो हाई कोर्ट की शरण में चले गए| नवंबर 2023 में कोर्ट ने आदेश दिया और दूसरे कर्मचारियों की तरह पिल्लई को भी वेतनमान देने के लिए कहा| हाकोर्ट के आदेश के मुताबिक चार महीने में वेतनमान मिलना था,लेकिन अप्रैल 2024 तक वेतनमान नहीं मिला,तो पार्थन पिल्लई ने कोर्ट में अवमानना याचिका लगा| इसके बाद हाई कोर्ट ने पांचों अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है| फिलहाल इस मामले की सुनवाई अगले महीने है उम्मीद है कि संविदा कर्मियों को अब न्याय मिल पाएगा|
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