कांग्रेस से भाजपा में आए सैकड़ों 'फुफाजी' की नहीं हो रही मान मनौव्वल

साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हुए थे। जो सिंधिया के साथ भाजपा में आए उन नेताओं का अस्तित्व तो गाहे-बगाहे बचा हुआ है उन्हे सरकार और संगठन दोनों में स्थान मिल रहा है लेकिन जो कांग्रेस नेता सिंधिया के बाद आए या फि यूं कहें कि सिंधिया खेमे के नहीं थे वो अब भाजपा की भीड़ में खोते जा रहे हैं। खुद का अस्तित्व बचाना उनके लिए कठिन होता चला जा रहा है। साल 2023 और 24 में जो नेता कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए उनका दर्द अब धीरे-धीरे बाहर आने लगा है। केन्द्रीय मंत्री रहे सुरेश पचौरी,पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना,गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी सहित कई पूर्व सांसद और बड़े नेता कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे और अब इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। हाल ही में उप चुनाव में हारे रामनिवास रावत भी यही दुख झेल रहे हैं। दिल्ली की दखल से सिंधिया समर्थकों का मध्य प्रदेश में खासा प्रभाव दिख रहा है। लेकिन सिंधिया का सहारा जिन नेताओं ने नहीं लिया उनके लिए एमपी बीजेपी संगठन बेफिक्र नजर आ रहा है। ये सभी नेता भाजपा कार्यालय आते हैं इधर से उधर पदाधिकारियों के कमरे झांकते हैं,भाई साहब नमस्कार करते हैं कुछ देर बैठते हैं जब उन्हे कोई तबज्जो नहीं मिलती तो चुपचाम नमस्कार करके निकल जाते हैं। कांग्रेस से बहुत नेता भाजपा में इसलिए भी आए कि भाजपा की सरकार है लिहाजा उनके छोटे-मोटे काम होते रहेंगे लेकिन उनके इस सपने पर भी पानी फिर गया क्योंकि संगठन से लेकर सरकार तक उन नेताओं को महत्व ही नहीं दिया जा रहा है। अब कांग्रेस से भाजपा में आए नेता यही सोच रहे हैं कि काश वो कांग्रेस में ही रहे आते तो बेहतर था कमसे कम वहां कोई हालचाल तो पूछ लेता था। अब कांग्रेस से आए सारे नेताओं की भाजपा में फुफाजी की तरह हालत हो रही है। जो नाराज तो हो सकते हैं लेकिन उनकी नाराजगी सुनने वाला कोई नहीं।
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