'पटवारी' का आदेश नहीं मानूंगा चाहे लोग मुझे नायक नहीं 'खलनायक' ही मानें

देश के एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए सनातन के खिलाफ बोलना पड़े तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। भले लोग 'खलनायक' कहें उससे कोई परहेज नहीं है। यह सोच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व मंत्री और वर्तमान में महत्वपूर्ण पद बैठे एक वरिष्ठ नेता की है। खुद को कथावाचक कहते हैं और दूसरे कथावाचक को कहते हैं कि उसे सनातन का ज्ञान नहीं है वो 'उचक्का' है। इस प्रकार के बयान एक सम्मानित हनुमान भक्त के लिए आना यह दर्शाता है कि यह नेता 'सियासत को अपनी रियासत' मानते है। इस नेता के बयान के बाद कुछ कांग्रेस नेताओं ने उस बयान से खुद को अलग करते हुए उनका निजी बयान बताया था। माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी इस मामले में संज्ञान लेंगे और बयान पर अपना और पार्टी का स्टैंड क्लियर करेंगे। लेकिन जिस प्रकार से उमंग सिंघार के साथ शुक्रवार को उन्होने संयुक्त रुप से प्रेसवार्ता की और वहां पर किसी भी प्रकार की सफाई नहीं आई उससे यह क्लियर हो गया कि कांग्रेस नेता द्वारा पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पर दिया गया बयान कांग्रेस पार्टी का बयान है। अगर यह बयान कांग्रेस का नहीं होता तो वरिष्ठ नेता बयान पर ऐक्शन लेते और इस मामले में कोई कार्रवाई करते। बयान के चार दिन बीतने के बाद कोई सफाई नहीं आने का मतलब साफ है कि सनातन को और सनातनियों को बदनाम कर एक वर्ग विशेष को खुश करने की कोशिश की गई है। यहां पर एक बात बताना जरुरी है कि करीब एक सप्ताह पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रवक्ताओं की बैठक लेते हुए कहा था कि फिजूल की बयानबाजी नहीं करनी है। सधे हुए बयान ही देने हैं और उस बयान को हफ्ते भर भी नहीं बीता था कि कांग्रेस के जिम्मेदार नेता ने पंडित धीरेन्द्र शास्त्री और उनके सनात ज्ञान पर बयान देकर यह बता दिया कि यह सुनियोजित तरीके से दिया गया बयान था। जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सहमति मिली हुई है।
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