भाजपा में विधायकों के चहेतों को बनाया गया 'मंडल अध्यक्ष' दरी बिछाने और भीड़ जुटाने वाले कार्यकर्ता रहे उपेक्षित
मप्र भाजपा में करीब दो महीने से संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। पार्टी पदाधिकारियों की तरफ से चुनाव को निष्पक्ष कराने का दावा किया गया था। प्रदेश कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों की हुई बैठक में बड़े-बड़े दावे किए गए थे जिसमें यह कहा गया था कि पार्टी के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को ही मौका दिया जाएगा। भाजपा की बैठक में चुनाव प्रभारियों से ये भी कहा गया था कि विधायक,सांसद और मंत्रियों के दबाव में मंडल अध्यक्ष के चुनाव नहीं होंगे। उन्ही कार्यकर्ताओं का मंडल अध्यक्ष के रुप में चयन करना है जो पार्टी के लिए दिन रात मेहनत करने पर विश्वास रखता है। लेकिन भाजपा के हजारों कार्यकर्ताओं की ईमानदारी पर उस वक्त पानी फिर गया जब मंडल अध्यक्षों की सूचियां जारी होनी शुरु हुई। अधिकतर मंडल अध्यक्षों को रिपीट कर दिया गया। बात सिर्फ इतने में ही खत्म नहीं हुई। हद तो तब हो गई जब विधायकों के द्वारा दिये नामों को ही फायनल किया गया। अब तक जो सूची जारी हुई और उसमें जितने नामों की मंडल अध्यक्ष के रुप में घोषणा हुई वो सभी किसी विधायक अथवा मंत्री के करीबी और चाहने वाले थे। कुल मिला कर लोतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी में सिर्फ उन्ही कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है जो कार्यकर्ता विधायकों की खुशामदी करते हैं अथवा मंत्रियों के बंगले में बने रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जिस प्रकार से मंडल अध्यक्षों की घोषणा हुई है उसके बाद हजारों कार्यकर्ताओं में निराशा का दौर है। जो आने वाले समय में भयावह रुप ले सकता है।
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