लगता है भाजपा में बीरबल की 'खिचड़ी' पक गई, परोसने के लिए 'अ' तिथि का हो रहा इंतजार

मप्र भाजपा एक ऐसा संगठन जिसमें कब क्या फैसला होता है इसकी भनक दो नेताओं के अलावा किसी तीसरे को नहीं लगती। चाहे सीएम के चयन का मामला हो अथवा प्रदेश अध्यक्ष के चयन की घोषणां। कैडर की बात करने वाली भाजपा में दो नेता जिस पर मुहर लगा दें वही सर्वमान्य नेता है। पार्टी के अन्य नेता में इतनी मजाल नहीं कि वो किसी फैसले का विरोध कर सकें। पिछले कुछ महीनों से प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भाजपा में खिचड़ी पक रही है। खिचड़ी को मन मुताबिक बनाने के लिए भाजपा के अलग-अलग नेता अपने हिसाब से उसमें तड़का भी लगा रहे हैं। तो वहीं कुछ नेता खिचड़ी के पकने का इंतजार कर रहे हैं। बचे कार्यकर्ता तो खिचड़ी पकाने के लिए आग में फूंक मार रहे हैं और भाजपा की खिचड़ी है कि पकने का नाम नहीं ले रही है। इतनी बात जरुर है कि खिचड़ी से निकलने वाली खुशबू के कारण कुछ नेताओं के चेहरे अजीबो गरीब से बन गए हैं। खबर ये भी आ रही है कि भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पक रही खिचड़ी अब पक चुकी है। खिचड़ी खाने वाले का नाम तय हो चुका है। लेकिन खिचड़ी को परोसने वाले का इंतजार किया जा रहा है। खिचड़ी परोसने की जिम्मेदारी केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को दी गई है। पहले दिल्ली चुनाव के कारण धर्मेन्द्र प्रधान नहीं आए और अब तिथि का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि इतनी मेहनत से तैयार की गई खिचड़ी को खिलाने के लिए एक विशेष मुहूर्त की अवश्यकता है लिहाजा तब तक कार्यकर्ताओं को खिचड़ी की आग को फूंकते रहने के लिए कहा गया है। जिससे खिचड़ी ताजी बनी रहे और कार्यकर्ता ब्यस्त रह सकें। पार्टी में निधि संचय अभियान भी पांच साल बाद चल रहा है इसलिए पार्टी को डर है कि अध्यक्ष की घोषणा होने के बाद कहीं निधि संचय अभियान में कहीं ब्रेक न लग जाए। क्योंकि नए अध्यक्ष की घोषणा होते ही सभी कार्यकर्ता निधि संचय अभियान छोड़ नए अध्यक्ष के पास अपने लिए फील्डिंग जमाने में न लग जाएं। लिहाजा भाजपा के दो दिग्गज चाहते हैं कि तब तक खिचड़ी पकती रहे और कार्यकर्ता उसमें फूंक मारने का काम करते रहें।
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