कमलनाथ की सक्रियता से जीतू पटवारी खेमे में बेचैनी का माहौल,कार्यकर्ता नया ठिकाना तलाशने में जुटे
लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ की हार के बाद कमलनाथ ने राजनीति से कुछ समय के लिए दूरी बना ली थी इस बीच जीतू पटवारी के करीबियों को लगा था कि अब नए युग का आरंभ हो गया है| लेकिन जिस प्रकार से राहुल गांधी ने कमलनाथ के निवास पर जाकर खुद मुलाकात की है उसके बाद पटवारी के खेमे में बेचैनी का माहौल बन गया है| दरअसल कमलनाथ के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने जीतू पटवारी को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन वो अभी तक कांग्रेस की नैया पार कराने के नाकाम साबित हुए हैं| पहले से ही कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी जीतू पटवारी के रवैए को लेकर उनसे नाराज थे ऊपर से कमलनाथ के निवास पर राहुल गांधी का जाना कार्यकर्ताओँ के लिए खतरे की घंटी दिख रहा है| माना जा रहा है कि कमलनाथ को बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी तो उनका हस्तक्षेप मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी बढ़ेगा और जीतू पटवारी का कद घटेगा लिहाजा पार्टी के कई पदाधिकारी अपने नए ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं| दरअसल जीतू पटवारी को दस महीने से ज्यादा का समय अध्यक्ष बने हो चुका है और इन दस महीनों में वो प्रदेश कार्यकारिणी तक घोषित नहीं कर पाए हैं ऐसी स्थिति में कार्यकर्ताओं को उनसे जो उम्मीद थी वो पूरी नहीं हुई है| कुछ तो ऐसे कार्यकर्ता भी जीतू पटवारी से किनारा करने लगे हैं जो जीतू पटवारी के काफी करीबी माने जाते थे| कमलनाथ की सक्रियता के चलते अब विजयुपर और वुंदनी विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव पर भी खासा प्रभाव पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि जिस प्रकार से कार्यकर्ता अभी तक दो चुनावों की तैयारियों में लगे थे तो अब कमलनाथ और राहुल की नजदीकियों को देखते हुए पटवारी के करीबियों का मोरर डाउन हुआ है और वो इस स्थिति में हैं कि क्या करें क्या न करें,किसके साथ रहें किसके साथ न रहें|
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