आज की सबसे बड़ी भविष्यवाणी- हारे कोई भी लेकिन सरकार तो 'कमल' की ही बनेगी
मप्र सहित पांच राज्यों में कल से आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है (Madhya Pradesh Elections)। अगले 37 दिनों तक प्रदेश में सियासी बुखार जमकर देखने को मिलने वाला है। प्रदेश में जिस प्रकार से भाजपा और कांग्रेस सत्ता हासिल करने के लिए अपने सियासी मोहरे फिट करने में जुटे हैं उससे स्पष्ट है कि भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव को बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रहे हैं। कर्नाटक चुनाव में हार के बाद जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी ने वहां से सीख ली है तो वहीं कांग्रेस पार्टी अति उत्साहित नजर आ रही है। जो कांग्रेस अभी तक 150-180 सीटों का दावा कर रही थी उसी कांग्रेस के पदाधिकारी कुछ एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वे को वाट्सेप ग्रुपों में वायरल कर खुश हो रहे हैं। दरअसल एक एजेंशी के सर्वे में भाजपा को 104 से 116 सीटें मिलती दिख रही हैं तो वहीं कांग्रेस को 116 से 125 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। इस प्रकार के सर्वे से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह नजर आ रहा है। लेकिन उन्हे यह नहीं मालूम कि चुनाव का काउनडाउन अब शुरु हुआ है। जिस भारतीय जनता पार्टी को लड़ाई में नहीं माना जा रहा था उसी भारतीय जनता पार्टी को सर्वे एजेंसियों 104 से 116 सीट तक दे रहे हैं। मतलब साफ है कि मुख्यमंत्री शिवराज स़िह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) द्वारा ऐन मौके पर शुरु की गई लाड़ली बहना योजना (Ladli Behana Yojana) काम कर गई है जिसके कारण भाजपा के वोटबैंक का ग्राफ बढ़ गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अलग-अलग तरह की यात्राएं निकाल कर लगातार जनता से संवाद भी किया है। भाजपा महिला मोर्चा (BJP Mahila Morcha) को भी लक्ष्य दे दिया गया है कि वो हर बूथ में जाएं वाट्सेप ग्रुप बनाएं और स्थानीय महिलाओं को ग्रुपों में जोड़ कर केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से महिला हितैषी योजनाओं का जमकर प्रचार करें जिससे महिलाओं को भावनात्मक तरीके से भाजपा से जोड़ा जाए। जनता का दिल जीतने के लिए कांग्रेस (MP Congress) की ओर से भी बहुत सारे अभियान चलाए जाते रहे हैं लेकिन कांग्रेस की कमजोरी यही रही है कि भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamal Nath) को खुश करने के लिए नेता और कार्यकर्ता तो जुट जाते हैं लेकिन वो अभियान भोपाल से निकलने के बाद कहां जाता है और कहां खत्म होता है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। बात स्पष्ट है कि अगले 37 दिन मध्यप्रदेश में जमकर एमोश्नल ड्रामा देखने को मिलने वाला है। साम-दाम-दंड और भेद सभी इस चुनाव में स्पष्ट रुप से देखने को मिलने वाला है। इस बीच यह बात तय है कि सत्ता के सिंहासन की इस लड़ाई में भाजपा और कांग्रेस कितनी भी मेहनत कर लें लेकिन यह अटल सत्य है कि सरकार 'कमल' की ही बनेगी।
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