धड़ों में बंट रही मोहन सरकार,धीर-धीरे सतह पर आ रही गुटबाजी,डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के साथ आ रहे कई नेता

मप्र की मोहन सरकार में फिल्म शोले के जेलर की तरह ही कहानी देखने को मिल रही है जिसमें वो कहता है कि आधे इधर जाओ आधे उधर जाओ बांकी मेरे पीछे आओ| पीछे कौन खडा मिलता है इसका जवाब सभी के पास है| इस वक्त प्रदेश के मुखिया के साथ भी कुछ ऐसी ही कहनी देखने को मिल रही है| दरअसल जिस गति से डॉ. मोहन यादव चल रहे हैं उसको देखते हुए उनकी सरकार के नेता और उनके करीबी ही अब नाराज होने लगे हैं| उन्ही की सरकार में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने धीरे-धीरे एक अलग गुट तैयार कर दिया है और उन्ही के साथ दूसरे डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा भी चल पड़े हैं| हांलाकि जगदीश देवड़ा संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं और अक्शर खुद को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ दिखाने का प्रयास करते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है|उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार भी पिछले कुछ समय से सीएम से कटे-कटे नजर आने लगे हैं| सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय पहले ही मुख्यमंत्री से नाराज थे लेकिन खुल कर कुछ नहीं सकते यह उनकी मजबूर है और यही हाल प्रहलाद पटेल के भी हैं| दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब से सीएम बने हैं तभी से उनकी कोई भी योजना शुरु होती है तो वो उज्जैन से ही शुरु होती है| और यही कारण है कि सरकार के अंदर रहने वाले उन्ही के साथी उनसे नाराज होने लगे हैं| कई ऐसे भी मामले हैं जिनके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी कैबिनेट के साथियों से विचार विमर्श भी नहीं करते हैं और उसकी घोषणा कर देते हैं जो सरकार के अन्य नेताओं के गले से नहीं उतरता है| कई विभागों के विकास कार्यों की राशि भी रोक दी गई है और कई जगह फिजूल खर्ची की जा रही है जो अन्य मंत्रियों को रास नहीं आ रहा है| समय के साथ-साथ अब डॉ. मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान के रास्ते पर ही चल पड़े हैं| कुछ नेता दवी जुवां कहते हैं कि एक शिवराज से छुटकारा मिला तो उन्ही की फोटो कापी से सामना हो गया है| इस बात में कोई सक नहीं है कि सरकार के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है| और धुंआ चला है तो कहीं आग जरुर लगी होगी| आग कब ज्वालामुखी का रुप ले लेगी इस बात का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है|
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