कर्मचारी हितैषी नहीं है प्रदेश की मोहन सरकार,कर्मचारियों के डीए पर भारी पड़ रही लाड़ली बहना योजना
प्रदेश में जब भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बदला तो लोगों को लगा था कि अब कुछ नया देखने को मिलेगा। सिर्फ बात नहीं बल्कि काम भी होगा। लेकिन लोगों की उन उम्मीदों पर अब पानी फिरना शुरु हो गया है। दरअसल लंबे समय से शासकीय कर्मचारियों (mp government employees) को उम्मीद थी कि उनका डीए मोहन सरकार (mohan government) जरुर देगी लेकिन नई सरकार का गठन होने के बाद कई कैबिनेट की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन एक भी कैबिनेट बैठक में मोहन सरकार में शासकीय कर्मचारियों के डीए पर चर्चा नहीं हुई। मंत्रालय में मौजूद सूत्रों की मानें तो निकट भविष्य में फिलहाल कर्मचारियों को डीए मिलने की किसी प्रकार की कोई संभावना नहीं है। ऐसा नहीं है कि इस विषय की जानकारी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (mohan yadav) को नहीं है लेकिन वो कर्मचारियों के विषय पर बात करने के लिए किसी प्रकार से तैयार नहीं हैं। कर्मचारियों की बात आती है तो सरकार मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार के पास फिलहाल बजट नहीं है जिसके कारण वो डीए नहीं दे पाएंगे। दरअसल कर्मचारियों के डीए के आड़े लाड़ली बहना योजना आ रही है। राज्य सरकार पर लाड़ली बहना योजना की हर महीने मिलने वाली किस्त इतनी भारी पड़ रही है कि अन्य विकास के बारे में मुख्यमंत्री मोहन यादव सोच ही नहीं पा रहे हैं। इसके उलट बात करें तो केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों को 46 फीसदी मंहगाई भत्ता दे रही है और प्रदेश के शासकीय कर्मचारी सिर्फ 42 फीसदी ही मंहगाई भत्ता पा रहे हैं। खबर ये भी है कि केन्द्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर केन्द्रीय कर्मचारियों का चार फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ाने वाली है। मतलब साफ है कि केन्द्र सरकार मप्र के शासकीय कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। मोहन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों की अनदेखी के चलते नाराजगी भी देखने को मिल रही है। लेकिन कर्मचारी सरकार के खिलाफ जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
What's Your Reaction?