भाजपा में और ज्यादा उठेंगे विरोध के स्वर,विंध्य और बुंदेलखंड के बाद महाकौशल की बारी

कैडरबेस पार्टी कहलाने वाली भाजपा में जिला अध्यक्षों की घोषणा आखिरी पड़ाव पर है। तीन जिलों में अध्यक्षों की घोषणा अभी और बांकी है जिसकी घोषणा एक दो दिन में हो जाएगी। लेकिन इसके बाद भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है पार्टी के अंदर उठने वाली विरोधी खबरों की। बुंदेलखंड में पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच शीत युद्ध जारी है जिस पर विराम लगाने में एमपी बीजेपी का नेतृत्व अब तक नाकाम रहा है। दूसरी तरफ विंध्य में विरोध की लहरें उठने लगी हैं। पहले मनगंवा विधायक ने त्योंथर विधायक की सफेदा लगी फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट कर विवाद खड़ा किया फिर पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम ने मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और अब रीती पाठक ने उप मुख्यमंत्री के सामने बयान देखर वरिष्ठ नेताओं के लिए मुसीबत खड़ी की है। इनसे भाजपा का नेतृत्व पार नहीं पा पाया था कि अब ग्वालियर-चंबल और मालवा,निमाड़ से भी कुछ नेताओं के नाराज होने की खबर आ रही है। महाकौशल की बात करें तो तहां से कई नेता इसी बात का इंतजार किए बैठे हैं कि कुछ और जगहों से विरोध की खबरें बाहर आएं तो फिर वो भी मोर्चा खोलें। इन नेताओं के आक्रोश का बांध कभी भी फूट सकता है। जिस प्रकार से वर्तमान भाजपा में अंतर्कलह देखने को मिल रही है और खुलेआम एक दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी चल रही है अभी तक भाजपा में इस तरह की खबरें नहीं मिला करती थी। दरअसल मोहन मंत्रिमंडल में कई सीनियर नेताओं को स्थान नहीं मिला बल्कि पहली बार विधायक बने नेताओं को शामिल किया गया उससे पार्टी के अंदर ही अंदर एक ऐसा लावा तैयार हो गया है जो धीरे-धीरे जमीन के बाहर आने लगा है। आने वाले समय में जो भी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसके लिए पार्टी की गुटबाजी को खत्म करना सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है।
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