एमपी में ओबीसी आरक्षण बना सरकार के गले की फांस,कोर्ट ने सरकार पर लगाया 50 हजार का जुर्माना,ओबीसी वर्ग को कई विभागों में मिला 27 फीसदी आरक्षण

प्रदेश की मोहन सरकार के लिए ओबीसी आरक्षण गले की फांस बन गया है| एक ओर राज्य सरकार के कई विभागों में 27 फीसदी आरक्षण के साथ ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है| वहीं मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्ती प्रक्रिया उलझ कर रह गई है| ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के रिजल्ट पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है| कोर्ट ने कहा है कि जिस 87:13 के फार्मूले के तहत 13 प्रतिशत सामान्य और 13 प्रतिशत चयनित ओबीसी अभ्यर्थियों के रिजल्ट होल्ड किए गए हैं,यह फार्मूला हाई कोर्ट का नहीं है| कोर्ट ने कहा है कि 31 अगस्त के पहले होल्ड उम्मीदवारों की सूची पेश करें| पूरा मामला एपीपीएससी की वर्ष 2019,2020 और 2021 की परीक्षाओं से जुड़ा हुआ है| दरअसल वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण का मुद्दा उठाया था| कांग्रेस की कमल नाथ सरकार ने 1994 वे रिजर्वेशन एक्ट के तहत ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 फीसदी करने का आध्यादेश लाई थी| लेकिन आरक्षण के इन नियुमों को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गई| अब यह पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है| कांग्रेस की देखा देखी भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति में भी आरक्षण लागू कर 20 साल में चार ओबीसी मुख्यमंत्री बनाया| जिसमें उमाभारती,बाबूलाल गौर,शिवराज सिंह चौहान और अब डॉ. मोहन यादव शामिल हैं| इस बीच यह बात भी निकल कर सामने आई कि 90 फीसदी युवाओं का भविष्य राजनीति का शिकार हो गया| ओबीसी वर्ग से भी किसी एक भी युवा का चयन नहीं हुआ|
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