मंत्री के बेटे की खुलेआम गुंडागर्दी,पत्रकार और होटल संचालक को पीटा
भोपाल-रंगपंचमी यानी शनिवार की शाम। मप्र के राज्यमंत्री के बेटे अपने मित्रों और कुछ युवतियों के साथ इनोवा कार में क्या कर रहे थे..ये तो वही जानते होंगे। पर नए नवेले मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल (narendra shivaji patel) के पुत्र का बीच सड़क पर गुंडागर्दी और दादागिरी करने वाला मामला फिलहाल सुर्खियों में है। मजे की बात तो ये है कि अपने बेटे की करतूत पर पर्दा डालने खुद राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल थाने पहुंचे,उनके भाई जिनका नाम राजेश पटेल बताया गया और उनके समर्थकों ने भी थाने में जाकर पुलिस पर दबाव बनाया। अब चूंकि मामला पोलिटिकल प्रेशर से जुड़ा हुआ था सो पुलिस अधिकारी भी थाने पहुंचे। आखिर पुलिस ने घायलों का मेडिकल करा मामला दर्ज किया और मंत्रीजी को संतुष्ट करने कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्यवाई की। रात करीब 8 और 9 बजे के बीच जब पत्रकार विवेक सिंह अपनी बाइक से घर जा रहे थे तभी त्रिलंगा के पास चौराहे पर रेड सिग्नल होने से विवेक ने अपनी बाइक रोकी। तभी इनोवा कार में सवार मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे अभिज्ञान अपने मित्रों के साथ वहां से निकले। कार में कुछ युवतियां भी थीं। कार का हॉर्न बहुत तेज़ बजाया जा रहा था। बस हॉर्न तेज़ बजता देख विवेक ने कार के तरफ नजर डाली। तो मानो मंत्री पुत्र को गुस्सा आ गया। बस फिर क्या अभिज्ञान ने अपने दोस्तों के साथ विवेक से मारपीट करना शुरू कर दिया। वहीं सामने मौजूद अम्मा बाबू की रसोई के संचालक सोनू मार्टिन और उनकी पत्नी आलीशा बचाव करने पहुंचे तो मंत्री पुत्र और उसके साथियों ने उन्हें भी जमकर पीटा..सोनू के सर में टांके आए हैं। महिला को भी चोटें आईं..होटल में काम करने वाले को भी रसूख में डूबे अभिज्ञान ने नहीं छोड़ा..उसे भी खूब पीटा। मामला थाने पहुंचा तो बेटे की करतूत पर पर्दा डालने नए नवेले माननीय मंत्री भी पहुंच गए। बताया जा रहा है कि मंत्री पुत्र अपने दोस्तों के साथ रंगीनियों में डूबे थे..और थाने में भी रंगदारी करने से नहीं बाज आए। अभिज्ञान के चाचा का अंदाज तो थाने में देखने लायक था। वो भतीजे की वकालत करने में इतने व्यस्त थे कि घायल होटल संचालक दंपति को सांत्वना देने की बजाय उसके ढाबे के कागजों की जांच कराने की बात करने लगे..बड़ी कश्मकश के बाद पुलिस की एक महिला अधिकारी ने मामला दर्ज करवाया। ये घटनाक्रम रात 3.30 बजे तक चला। अब देखना होगा कि क्या इस तरह सरेराह गुंडागर्दी करने वाले मंत्री पुत्र और उसके साथियों पर पुलिस कोई कड़ा एक्शन लेगी। या ये मामला भी राजनीतिक दबाव की भेंट चढ़ेगा।क्या सरकार के जिम्मेदार इस पर भी कोई संज्ञान लेंगे? क्योंकि थाने में जब मंत्री जी पहुंचे तो वहां किसी को वीडियो बनाने। घायलों से बात करने की भी इजाजत पुलिस नहीं दे रही थी..सवाल तो ये भी है कि इन रसूखदार लोगों के बेटों को डांटने वाले पुलिसवालों पर जो कार्यवाई की गई..क्या वो सही है...?
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