संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की बढ़ी नाराजगी, जल्द प्रदेश स्तर पर आंदोलन आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे संविदा स्वास्थ्य कर्मी

मप्र का मुखिया बदलते ही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की किस्मत भी बदल गई है| दरअसल पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संविदा स्वास्थ्य कर्मियों से जो वादा किया था उस वादे से मुकरते हुए प्रदेश की मोहन सरकार ने संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बनाए गए नियमों को स्थगित कर दिया है|और यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निर्णयों की वजह से संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा की गई घोषणा के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश में कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित पदों पर भर्ती में 50 फीसदी आरक्षण, अप्रेजल समाप्ति, एनपीएस का लाभ, स्वास्थ्य बीमा, रिटायरमेंट के समय ग्रेज्युटी, नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश, महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा भत्ता, अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिया जाना था। लेकिन मानव संसाधन मैनुअल 2025 में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का मेडिकल लीव समाप्त कर दिया, नियमित पदों पर भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है। शोषण का प्रतीक रही अप्रेजल प्रक्रिया को फिर से शामिल कर कर्मचारियों के साथ अन्याय किया गया है। नवीन नीति में एनपीएस, महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा भत्ता, नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश, स्वास्थ्य बीमा, रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी आदि को शामिल नहीं किया गया है। इसी वजह से जल्द ही प्रदेश स्तर पर आंदोलन होगा।
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