रीवा जिला शिक्षा अधिकारी अनियमितता मामला,पुलिस अधीक्षक खुद करेंगे जांच
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने रीवा जिले के पुलिस अधीक्षक को आदेशित किया है कि वह कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी रीवा (rewa district education officer) में मौजूद रिकॉर्ड की जांच करें और न्यायालय को बताएं कि, याचिका के साथ प्रस्तुत किए गए दस्तावेज, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जारी किए गए या नहीं। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है के मामले की जांच पुलिस अधीक्षक रीवा स्वयं करेंगे, अपने किसी अधीनस्थ अधिकारी को इसके लिए नियुक्त नहीं करेंगे।मामला आर्थिक अनियमित का है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (mp high court) के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी रीवा में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता हुई है। अपने पक्ष के समर्थन में याचिकाकर्ता ने कुछ दस्तावेज संलग्न किए हैं और बताया है कि यह दस्तावेज उसने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जनवरी 2010 में प्राप्त किए थे। इस मामले में वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी रीवा ने माननीय न्यायालय में प्रस्तुत होकर बताया कि, यह दस्तावेज उनके कार्यालय से कभी भी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जारी नहीं किए गए। जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से न्यायालय में हलफनामा प्रस्तुत किया गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इस मामले में रीवा के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि वह, स्वयं रिकॉर्ड की जांच करें एवं बताएं कि याचिकाकर्ता और जिला शिक्षा अधिकारी में से कौन सही है। जांच के बिंदु इस प्रकार होंगे:- क्या याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया था। क्या आवेदन के आधार पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। दिनांक 16 अक्टूबर 2010 के पत्र में जिन शासकीय दस्तावेजों का जिक्र है, क्या वह रिकॉर्ड में उपलब्ध है। याचिकाकर्ता द्वारा जो दस्तावेज लगाए गए हैं, उसे पर किसके हस्ताक्षर हैं।
What's Your Reaction?