राजेन्द्र शुक्ला की जिद के चलते बीजेपी के हाथ से फिसल सकता है रीवा,कांग्रेस मजबूत
रीवा में अपना वर्चश्व कायम रखने के लिए उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला (rajendra shukla) ने दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा (janardan mishra) को एक बार फिर चुनाव मैदान में टिकट दिला दिया है। जनार्दन मिश्रा उन निस्क्रिय सांसदों में गिने जाते हैं जो अपने दस साल के कार्यकाल में रीवा से बाहर ही नहीं निकले। रीवा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं उन विधानसभा क्षेत्र का दस साल में जनार्दन मिश्रा दौरा नहीं कर पाए। जनार्दन मिश्रा राजेन्द्र शुक्ला के बेहद करीबी माने जाते हैं इसी लिए उन्होने जनार्दन को एकबार फिर टिकट दिला कर जिताने की गारंटी ली है। लेकिन जनार्दन के खिलाफ एंटीइनकमबेंसी इतनी ज्यादा है कि अब खुद राजेन्द्र शुक्ला को अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है। ठीक इसी प्रकार उन्होने विधानसभा चुनाव में सेमरिया से केपी त्रिपाठी को टिकट दिलाया और आखिर में हताशा ही हाथ लगी। जिस उम्मीदवार ने विधानसभा में राजेन्द्र शुक्ला के करीबी केपी त्रिपाठी को चुनाव में हराया अब उन्ही अभय मिश्रा की पत्नी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में अपना भाग्य आजमा रही हैं। रीवा में राजनीतिक विश्लेषकों का साफ कहना है कि मोदी की गारंटी अलग विषय है लेकिन उन्हे एक ऐसा सांसद चाहिए जो उनके सुख दुख में खड़ा हो सके और जनार्दन मिश्रा में ऐसा कुछ नहीं है। वो थके हुए एक निस्क्रिय नेता हैं जो राजेन्द्र शुक्ला के द्वारा रीवा की जनता पर थोपे गए हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि पीएम मोदी,उनकी योजनाएं और गारंटी सबकुछ ठीक है लेकिन क्षेत्र में अगर उनको कोई जरुरत पड़ेगी तो सांसद के पास ही जाएंगे न की मोदी के पास। लिहाजा भाजपा किसी को भी चुनाव मैदान में उतार देगी तो उसे बार-बार बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
What's Your Reaction?