सबनानी जी की संवेदनशीलता,विधायक बनते ही बदले मिजाज,समय लेने वालों से करते हैं परहेज
बात है एक ऐसे भाजपा विधायक की जो संगठन के एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं| कोई भी चुनाव हो उन पर प्रदेश अध्यक्ष का सबसे ज्यादा विश्वास रहता है| हम बात कर रहे हैं भाजपा विधायक भगवानदास सबनानी की जो मृदुभाषी होने के साथ मिलनसार भी हैं| लेकिन जिस दिन से वो विधायक बने हैं उनकी ब्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि अगर उनसे कोई मिलना चाहे तो उसको वो समय नहीं दे पाते हैं| हांलाकि ब्यस्तता हो भी क्यों नहीं एक साथ दो पद,एक तो संगठन का प्रदेश महामंत्री और फिर विधायकी दोनों पद होने के कारण वो कापी ब्यस्त नजर आने लगे हैं| करीब सवा महीने पहले एक ब्यक्ति उनसे मिला और उसने उनसे पांच मिनट का समय मांगा सबनानी जी ने कहा कि चुनाव चल रहा है खत्म हो जाने दीजिए बैठ कर खूब बात करेंगे| लोकसभा चुनाव के चारों चरण बीत गए फिर सबनानी जी से वो ब्यक्ति मिला सबनानी जी ने फिर कहा कि मै आपको फोन करता हूं हम बैठ कर बात करेंगे| फिर कुछ दिन का समय बीता,संबंधित ब्यक्ति ने फिर उनको फोन किया और समय मांगा उन्होने कहा ग्वालियर से लौट रहा हूं कल मै आपको फोन करके बुलाता हूं हम बात करेंगे,लेकिन अगले दिन सबनानी जी का फोन नहीं आया,एक और दिन बाद उस ब्यक्ति ने बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में डेरा डाल दिया और कहा कि आज तो वो विधायक जी से मिल कर ही जाएगा आखिर उस ब्यक्ति का इंतजार खत्म हुआ और सबनानी जी ने कार्यालय में दस्तक दे ही दी-देखते ही सबनानी जी उस ब्यक्ति के पास आए और गले लगा लिया| अब कहानी और दिलचस्प होती है गले लगने के बाद सबनानी जी कहते हैं कि सवा महीने इंतजार किया तो 15 मिनट और रुकिए दो रोटी खा लेता हूं उनका बड़प्पन भी देखिए उस ब्यक्ति को भी उन्होने रोटी खाने के लिए आफर दिया लेकिन उसने मना कर दिया| 15 मिनट बाद सबनानी जी रोटी खाकर लोटे तो बड़े ही प्यार से बोले 15 से 20 मिनट संगठनात्मक बैठक कर लूं फिर हम बात करते हैं| जरुरत मंद ब्यक्ति और कर भी क्या सकता था उसने फिर आधे घंटे इंतजार किया और फिर उसके धैर्य का बांध फूट गया वो कार्यालय से लौट गया,न सबनानी जी का उसके पास फोन आया और न ही उन्होने किसी प्रकार से उस ब्यक्ति से संपर्क किया| इस प्रकार के संवेदनशील हैं विधायक सबननी जी|
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