संविदा कर्मियों की समस्या को कर्मचारी आयोग करेगा दूर,ग्रेड-पे पर होगा जल्द फैसला,तत्कालीन शिवराज सरकार के आदेश का होगा पालन

Aug 24, 2024 - 08:22
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संविदा कर्मियों की समस्या को कर्मचारी आयोग करेगा दूर,ग्रेड-पे पर होगा जल्द फैसला,तत्कालीन शिवराज सरकार के आदेश का होगा पालन

संविदा कर्मियों के ग्रेड-पे को लेकर चल रहा विवाद अब अपने आखिरी पड़ाव तक पहुंचने जा रहा है| दरअसल अब इस मामले में राज्य सरकार भी गंभीर हो गई है| यही कारण है कि संविदा कर्मियों के मामले को अब कर्मचारी आयोग को देने की योजना तैयार की जा रही है| गौरतलब है कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने डेढ़ साल पहले संविदा कर्मियों का ग्रेड-पे नियमित कर्मचारियों के बराबर लाने की घोषणा की थी| इसके समकक्षता का निर्धारण वित्त विभाग की अनुमति से किया गया,जिसको लेकर कर्मचारियों ने आपत्ति जताई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई| दरअसल इसमें कुछ संवर्ग के कर्मचारियों से पुराने और नए वेतन के अंतर को लेकर जानकारी मांगी गई है| अब पूरा मामला कर्मचारी आयोग को सौंपा जा सकता है| शिवराज सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई थी| इसमें प्राविधान किया गया था कि समकक्ष पद का 90 प्रतिशत दिया जाएगा,जिसे बाद में 100 प्रतिशत कर दिया गया| इसके साथ ही 50 प्रतिशत पद भी आरक्षित कर दिए गए लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ| चुनाव के समय संविदा कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए समकक्षता निर्धारण की प्रक्रिया शुरु की गई और समिति ने विचार-विमर्श के बाद ग्रेड पे का निर्धारण कर दिया| इसमें डाटा एंट्री आपरेटर का ग्रेड पे 1400 से घटाकर 1900 रुपये कर दिया गया| इसी तरह सहायक ग्रेड एक और दो,कार्यालय सहायक,सहायक ग्रंथपाल सहित अन्य का ग्रेड पे भी 1900 रुपये हो गया| मनरेगा योजना के डाटा एंट्री आपरेटरों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी| पारित आदेश के आधार पर समकक्षता मैट्रिक्स लेवर चार कर दी पर उन्होने इसे बढ़ाकर मैट्रिक्स लेवन छह करने का अभ्यावेदन दिया,जिसे अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय श्रीवास्तव,प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मनीष रस्तोगी और सचिव वित्त अजीत कुमार की समिति ने अस्वीकार कर दिया| इसके पीछे तर्क दिया गया कि अन्य विभागों में डाटा एंट्री आपरेटर या अन्य समकक्ष पदों के लिए मैट्रिक्स लेवर चार निर्धारित है| इसमें यदि वृद्धि की जाती है तो उन्हे नियमित पदों पर नियुक्ति मिलने में दिक्कत जाएगी| इसी तरह के मामले अन्य पदों से भी जुड़े हैं| स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में तो इंदौर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कुछ अधिकारियों के खिलाफ वारंट भी जारी किया है|

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