प्रदेश के सभी जिलों का बदलेगा नक्शा,सीएम यादव ने परिसीमन आयोग का किया गठन

Sep 9, 2024 - 19:20
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प्रदेश के सभी जिलों का बदलेगा नक्शा,सीएम यादव ने परिसीमन आयोग का किया गठन

मप्र सरकार अब प्रदेश के भीतर जिलों का नक्शा बदलने वाली है। इसके लिए सरकार ने सभी संभागों, जिलों और तहसीलों की सीमाओं को नए सिरे से निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जिले नापने के लिए परिसीमन आयोग का गठन भी कर दिया है। तीन सदस्यों वाले इस आयोग का जिम्मा रिटायर सीनियर आईएएस ऑफिसर मनोज श्रीवास्तव को दिया है गया है। मप्र में जल्द ही नये जिलों, कस्बों, और तहसीलों का सीमांकन भी शुरू हो जायेगा। इसके पीछे जिलों को भौगोलिक दृष्टि से सरल बनाना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने परिसीमन आयोग का एलान करते हुए कहा कि “जब हमने सरकार बनाई तो इस बात पर ध्यान दिया कि भौगोलिक दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य होने के नाते मध्य प्रदेश का अपना क्षेत्रफल तो है लेकिन समय के साथ इसमें कुछ कठिनाइयां भी आई हैं। जिले तो बढ़ गए, लेकिन जिलों की अपनी सीमाएं हैं, कई विसंगतियां हैं, कई संभाग बहुत छोटे हो गए हैं। ऐसी कई विसंगतियों के लिए हमने नया परिसीमन आयोग बनाया है।गौरतलब है कि 1947 में देश की आजादी के 9 साल बाद यानि एक नवंबर 1956 को मप्र का गठन हुआ था। उस वक्त एमपी में सिर्फ 43 जिले ही थे। लेकिन जनसंख्या के लगातार बढ़ने से धीर- धीरे नये जिले भी बनते गए। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार ने 3 नये जिले बनाए थे। जिसमें सतना से मैहर, छिदवाड़ा से पांढुर्णा और रीवा से मऊगंज को अलग कर नए जिले बनाए गए थे। मप्र में अब जिलों की संख्या 55 है। और यही वजह है कि आनन फानन में बनाए गए जिलों से जनता को मुख्यालय तक पहुंचकर अपने सरकारी काम कराने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसे दूर करने के लिए सरकार ने जिलों की सीमाओं को नए सिरे से तय करने का फैसला लिया है। परिसीमन को लेकर सरकार की मंशा तो अच्छी है।  लेकिन सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस को शक है। मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि परिसीमन भौगोलिक और संख्यात्मक होना चाहिए न कि सियासी परिसीमन। राजनीतिक दुर्भावना हुई तो जनता के साथ न्याय नहीं होगा और कांग्रेस इसका विरोध करेगी।

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