पत्नी पीड़ित संस्था का बाहर आया दर्द,सरकार से पुरुष प्रोटेक्शन ऐक्ट की उठाई मांग कहा पत्नियों से परेशान पुरुष कर रहे खुदकुशी

भारत को पुरुष प्रधान देश कहा जाता है यही कारण है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग-अलग समय पर सरकार ने कई कठोर कानून बनाए। सरकार की मंशा पवित्र थी कि महालिओं को न्याय मिलेगा लेकिन कानून बनाते समय शायद सरकार को यह ध्यान नहीं रहा कि कानून का गलत इस्तेमाल भी किया जा सकता है। आधुनिकता के दौर में अब इसी प्रकार के मामले सामने आने भी लगे हैं। वॉच लाइक संस्था ने अब पत्नियों से पीड़ित कई मामले सामने लाकर यह बता दिया है कि देश में सिर्फ महिलाएं ही घरेसू हिंसा का शिकार नहीं होतीं बल्कि पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं जिसके कारण वो खुदकुशी जैसे जघन्य अपराध की ओर पढ़ रहे हैं। इस संस्था ने आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने महिलाओं के पक्ष में कई ऐसे कानून बनाए हैं जिसका सहारा लेकर वो अपने पतियों और उनके परिवारजनों को प्रताडित कर रही हैं। उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर दहेज प्रताड़ना अथवा घरेलू हिंसा जैसे केस परिवार वालों पर लगा रही हैं जिसके कारण कई परिवार परेशान हो रहे हैं और कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। वाच लाइक संस्था की संरक्षक चंदना अरोड़ा का कहना है कि सरकार को महिलाओं की तर्ज पर ही पुरुषों के पक्ष में भी एक ऐक्ट लाना चाहिए जिससे पत्नियों से प्रताड़ित पुरुषों को भी न्याय मिल सके। क्योंकि कई पुरुष ऐसे हैं जो समाज में अपनी इज्जत खोने के डर से य तो महिलाओं का सोषण सह रहे हैं अथवा खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर रहे हैं इस लिए अब पुरुष प्रोटेक्शन ऐक्ट की आवस्यकता है।
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