भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के धैर्य का फूट रहा बांध,प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं होने से नाराज हो रहे नेता और कार्यकर्ता

मध्य प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष पद बीरबल की खिचड़ी बन चुका है। दरअसल जनवरी के महीने से ही प्रदेश अध्यक्ष बदलने की कवायद चल रही है कहा जा रहा था कि संगठनात्मक चुनाव खत्म होते ही प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो जाएगा लेकिन अब अप्रैल का महीना भी बीतने चला लेकिन भारतीय जनता पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष को लेकर फैसला नहीं ले पाया है। केन्द्रीय नेतृत्व की इस उदासीनता के कारण अब पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नाराज नजर आने लगे हैं। कोई नेता खुल कर बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन दवी जुवां यही कहते हैं कि दिल्ली में बैठे दोनों दाढ़ी वाले देश के संविधान की बात करते हैं और पार्टी के संविधान को तार-तार कर रहे हैं उसकी परवाह उन्हे नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान नहीं होने के कारण वरिष्ठ नेताओं के साथ सामान्य कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी का आलम देखने को मिल रहा है। पार्टी के सातों मोर्चे इस वक्त ठंडे पड़ चुके हैं उन कार्यालय में कोई ताला खोलने के लिए भी नहीं आता है। दरअसल वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल को पांच साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है जबकि भाजपा संविधान के मुताबिक तीन साल का नियम है इससे आगे बढ़ाने के लिए पार्टी को सभी प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करनी होती है उसके बाद उसी ब्यक्ति को दोबारा रिपीट किया जा सकता है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने आज तक एक्सटेंशन भी नहीं दिया और चुनाव भी नहीं कराया जिसके कारण कार्यकर्ता नाराज नजर आ रहे हैं। कुछ वरिष्ठ नेता तो यहां तक कहने लगे हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश के अध्यक्ष का चुनाव ही भूल गई है। प्रदेश कार्यालय में पहुंचने वाले कार्यकर्ता भी बेमन की तरह आते हैं क्योंकि उन्हे अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है लिहाजा वो प्रदेश कार्यालय में आने की इच्छा नहीं करते हैं।
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