शासकीय कर्मचारियों में नई पेंशन योजना को लेकर असमंजस,केन्द्र ने लागू की है यूनिफाइड पेंशन स्कीम

शासकीय कर्मचारी पिछले कई साल से ओपीएस की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई। इस बीच केन्द्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू कर मप्र के शासकीय कर्मचारियों को राहत की सांस लेने का मौका दिया है। लेकिन इस पेंशन योजना को लेकर एमपी के कर्मचारी संगठन दो फाड़ होने लगे हैं। दरअसल जब केन्द्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू की थी तब एमपी के कुछ कर्मचारी संगठनों ने इस योजना का समर्थन करते हुए एमपी सरकार से भी अनुरोध किया था कि एमपी में भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू किया जाना चाहिए। लेकिन अब कुछ कर्मचारियों में संशय की स्थिति देखने को मिल रही है। कर्मचारियों का कहना है कि इसके प्राविधानों में स्पष्टता नहीं है। इसलिए कुछ कर्मचारी यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने की बात कह रहे हैं तो कुछ कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए पोस्टकार्ड अभियान का आगाज कर दिया है। दूसरी तरफ राज्य सरकार भी केन्द्र के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रही है। इसके बाद ही वित्त विभाग द्वारा योजना को प्रदेश में लागू करने के संबंध में सभी पहलुओं पर विचार करने की समिति का गठन किया जाएगा। प्रदेश में अभी कर्मचारियों के लिए दो तरह की पेंशन योजना लागू है। 2005 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू की गई है। इसमें दस प्रतिशत राशि कर्मचारी को मिलानी होती है और 14 प्रतिशत राशि सरकार अंशदान के रुप में देती है। इसमें कई संवर्गों के कर्मचारी ऐसे हैं,जिन्हे सेवानिवृत्त होने पर चार-पांच हजार रुपये ही पेंशन मिलेगी। जबकि, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन में मिलती है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था। इसकी काट में भारत सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू की है। इसमें 25 वर्ष की सेवा के बाद 50 प्रतिशत पेंशन की गारंटी है। दस प्रतिशत राशि कर्मचारी की कटेगी और सरकार साढे़ 18 प्रतिशत अंशदान देगी। महाराष्ट्र सरकार ने इस योजना को लागू करने का ऐलान कर दिया है। मप्र में शासकीय कर्मचारियों की बीच अभी संशय बना हुआ है।
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