बीजेपी के 'कैडर' पर भारी गुटबाजी, संगठन महापर्व के दौरान प्रदेश के प्रत्येक अंचल में चलती रही गुटवाजी

भारतीय जनता पार्टी को कैडरवेस पार्टी कहा जाता है। जहां अनुसाशन को ही सर्वोपरि रखा जाता है। पार्टी में किसी नेता को बयान देना होता है तो उसे भी पार्टी का नेतृत्व तय करता है। लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा के 'कैडर' पर काली छाया मंडरा रही है। दरअसल जिस प्रकार से भाजपा में इस वक्त गुटबाजी उभर कर सामने आई है उस प्रकार से कभी भी गुटबाजी नहीं दिखी थी। ऐसा नहीं है कि पहले गुटबाजी नहीं हुआ करती थी लेकिन तब भाजपा का 'कैडर' इतना मजबूत हुआ करता था कि पार्टी में विद्रोह उठता देख तत्काल प्रभाव से इलाज किया जाता था लेकिन अब प्रदेश के अलग-अलग कोने से गुटबाजी जमकर बाहर आ रही है लेकिन वर्तमान कैडर गुटबाजी को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। विध्य में मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल और देवतालाब के विधायक गिरीश गौतम आपस में विवाद करते नजर आए तो वहीं मनगंवा विधायक और त्योंथर विधायक के भी वर्चश्व की लड़ाई चल रही है। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला और रीति पाठक के बीच शीत युद्ध चल रहा है। बुंदेलखंड की बात करें तो वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच जिस प्रकार से विवाद चल रहा है वो किसी से छिपा नहीं है। वहीं गोपाल भार्गव पार्टी के क्रियाकलापों से काफी नाराज चल रहे हैं। मालवा अंचल में नेताओं के बीच अलग से मन मुटाव चल रहा है। तो वहीं ग्वालियर-चंबल में सिंधिया और तोमर के बीच चले विवाद का नतीजा ये रहा कि रामनिवास रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा। महाकौशल से पूर्व मंत्री अजय विश्नोई की नाराजगी समय-समय पर बयानों के माध्यम से जाहिर होती रहती है। नर्मदापुरम में राज्यसभा सांसद को लेकर कई नेताओं के बीच नाराजगी देखने को मिल चुकी है। यह सब एक बानगी के तौर पर है। पार्टी की सारी गुटबाजी लिखी जाए तो उसके लिए पूरा एक दिन लग जाएगा।
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