शासकीय कर्मचारियों की सुनवाई के लिए न आयोग न समिति,किसके पास जाएं कर्मचारी,मोहन सरकार ने भंग की थी निगम,मंडल और समिति

प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के सामने एक बड़ी विडंबना यह है कि अगर उन्हे कोई समस्या है तो वो किसके पास अपनी फरियाद लेकर जाएं| क्योंकि कर्मचारियों ने लिए न आयोग है और न ही किसी प्रकार की समिति| गौरतलब है कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने कर्मचारियों की मांगो को सुनने और उसके निराकरण के लिए अनुशंसा कर्मचारी आयोग और कर्मचारी कल्याण समिति बनाई थी| डॉ. मोहन यादव ने कर्मचारी आयोग का कार्यकाल तो एक साल के लिए बढ़ा दिया लेकिन अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की| इस तरह लोकसभा चुनाव के दौरान भंग हुई कर्मचारी कल्याण समिति का भी गठन नहीं हो पाया| अब कर्मचारियों से जुड़ी समस्याओं का निराकण नहीं हो पा रहा है| जो मामले सामान्य प्रशासन विभाग के पास संज्ञान में लाए जा रहे हैं,वो भी लंबित पड़े हैं| कर्मचारी संगठनों से सरकार से मांग करते हुए कहा है कि उनकी सुनवाई के लिए ब्यवस्था बहाल की जाए| शिवराज सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं सुनने और उनके संबंध में अनुशंसा करने के लिए कर्मचारी कल्याण समिति बनाई थी| इससे लंबे समय तक कर्मचारियों और सरकार के बीच सेतु का काम किया| कर्मचारियों की मांगों पर सहमति बनाने पर भूमिका बनाई| गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न संवर्गों के कर्मचारियों के सम्मेलन बुलाए और कई घोषणाएं की| इसका लाभ भी भाजपा को चुनाव में मिला| लोकसभा चुनाव से पहले मोहन सरकार ने सभी बोर्ड,प्राधिकरण,समिति और परिषद में हुई नियुक्ति को निरस्त कर दिया था| तब से ही कर्मचारी कल्याण समिति नहीं है|
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