आदिवासी की हत्या पर सदन में हंगामा और ब्राह्मण की हत्या में पक्ष विपक्ष ने साधा मौन

मंडला जिले में हॉक फोर्स की मुठभेड़ में जान गंवाने वाले बैगा आदिवासी युवक को लेकर बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस विधायकों ने सदन के अंदर सरकार से चर्चा की मांग करते हुए वाकआउट किया और फिर सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई तो सदन के बाहर आकर कांग्रेस विधायकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन करते हुए आदिवासी की मौत को फेंक एनकाउंटर बताते हुए आदिवासियों का सोशण का आरोप लगाया| वहीं मऊगंज में एक ब्राह्मण पुलिस कर्मी को आदिवासियों ने बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया उस मामले में किसी भी कांग्रेस नेता ने सदन में चर्चा तक नहीं की और न ही सरकार पर किसी प्रकार का आरोप लगाया। पक्ष हो अथवा विपक्ष इस वक्त सिर्फ उस वोट बैंक की बात होती है जिसकी आबादी बड़ी है। इस बात में कोई सक नहीं कि प्रदेश में ओबीसी और अनुसूचित जनजाति वर्ग की एक बड़ी आबादी है जिसके कारण सरकार बात करती है तो ओबीसी अथवा अनुसूचित जनजाति वर्ग की। प्रदेश में जब भी सामान्य वर्ग के सोशण की खबर आती है तो सभी पार्टियों के नेता चुप होकर मौन धारण कर लेते हैं क्योंकि उन्हे यह मालूम है कि इनकी इतनी आबादी नहीं है कि ये सरकार का गणित खराब कर दें। लिहाजा जब ब्राह्मण पर अत्याचार के मामले होते हैं तो उसमें कुछ राशि देकर सरकार अपना काम पूरा कर लेती है और विपक्ष मौन धारण कर लेता है। जिस प्रकार से सदन के अंदर नेताओं का रवैया देखने को मिला है वो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। यहां एक बात और भी ध्यान देने की है सदन में इतने ब्राह्मण नेता हैं उन किसी भी नेताओं में किसी ने भी पुलिस कर्मी की मौत पर शोक ब्यक्त नहीं किया इससे यह समझ में आता है कि जितने भी सामान्य वर्ग के नेता हैं उनका अपने समाज से कोई लेना देना नहीं है वो सिर्फ वोट लेने के लिए अपने समाज के पास आते हैं।
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