मोहन की 'अग्नि परीक्षा' चार दिग्गज परीक्षा लेने के लिए सदन में हमेशा रहेंगे मौजूद
डॉ. मोहन यादव (mohan yadav) प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। काफी समय बाद एमपी को नया मुख्यमंत्री मिला है लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने जिस प्रकार से चार वरिष्ठ नेताओं को मोहन यादव का जूनियर बनने के लिए उन्हे मजबूर कर दिया है तो क्या वो चारों दिग्गज अपनी सिकस्त को ऐसे ही स्वीकार कर लेंगे या फिर डॉ. मोहन यादव के लिए समस्या भी खड़ी करेंगे। इस बात में कोई शक नहीं है कि डॉ. मोहन यादव एक सुलझे हुए खिलाड़ी हैं लेकिन जिन सीनियरों को उनका जूनियर बनने के लिए मजबूर कर दिया गया है तो क्या वो अपमान के आंसू पी कर ऐसे ही अपनी सियासी जमीन खिसकते हुए देखते रहेंगे। कहते हैं दुस्मन का दुस्मन दोस्त होता है ठीक वैसा ही जैसा मोहब्बत और जंग में सबकुछ जायज होता है। लिहाजा राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है और न ही कोई दुस्मन। मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे चल रहे नरेन्द्र सिंह तोमर (narendra singh tomar) को पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष बना कर उन्हे उनके राजनीतिक कद का अहसास करवा दिया है तो वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा की जमीन तैयार करने वाले कैलाश विजयवर्गीय (kailash Vijayvargiya) को भी भाजपा ने उनका कद और पार्टी में क्या हैसियत है वो बता दिया है। प्रलाद पटेल भी भाजपा के कद्दावर नेता हैं उम्र के अंतिम पड़ाव में वो भी अपना डेजिग्नेशन बदलना चाहते थे लेकिन केन्द्रीय नेत्रृत्व ने यह बता दिया कि आप विश्वास के लायक नहीं हो पहले पल्टी मार चुके हो। अब बात करते हैं एक ऐसे नेता कि जो पिछले 18 साल से एमपी बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा था। लाड़ली बहनों का भाई और लाड़ली लक्ष्मियों का मामा। प्रदेश में जब सब कह रहे थे कि सीएम विरोधी लहर है तब उन्होने सभी के समीकरण को धता बताते हुए 163 सीटें लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आखिर में नतीजा यह निकला कि केन्द्रीय नेत्रृत्व ने उन्हे भी दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर बाहर कर दिया। और तीसरी बार चुनाव जीत कर आए डॉ. मोहन यादव को मप्र का अगला मुख्यमंत्री बना दिया। फिलहाल भाजपा के सभी नेताओं के होंठों पर मुस्कान तो दिख रही है लेकिन मुस्कान कुटिलता की भी निशानी होती है किसी को यह नहीं भूलना चाहिए। आने वाले समय में प्रदेश के नए मुखिया को अपने घर के अंदर ही जूझने के लाए तैयार रहना पड़ेगा।
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