भाजपा और कांग्रेस के लिए विंध्य बना वोट 'मशीन' तैयार नहीं कर पाए नेत्रृत्व
राजनीतिक पार्टियों के लिए विंध्य (vindhya politics) हमेशा वोट की एक मशीन की तरह रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी का स्वर्गवास होने के बाद कांग्रेस इस क्षेत्र से विलुप्त हो गई और भाजपा ने लगातार जीत का पर्चम लहराया। लेकिन भाजपा के लिए विंध्य हमेशा वोटिंग मशीन से ज्यादा और कुछ नहीं रहा। 30 विधानसभा क्षेत्र वाले विंध्य में एकतरफा बीजेपी की सीटें आ रही हैं लेकिन भाजपा ने राजेन्द्र शुक्ला के अलावा यहां से किसी अन्य चेहरे को तरजीह नहीं दी। जबकि राजेन्द्र शुक्ला का आम आदमी से कोई सरोकार नहीं वो सिर्फ वीवीआपी लोगों के नेता हैं आम नागरिक की पहुंच से वो काफी दूर हैं। गिरीश गौतम ने लगातार पांच बार विधानसभा का चुनाव जीता लेकिन उन्हे पार्टी ने कभी महत्व नहीं दिया। दिब्यराज सिंह लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं लेकिन उन्हे भी पार्टी ज्यादा महत्व नहीं दे रही है। सीधी से केदारनाथ शुक्ला कई बार विधायक रहे उन्हे पार्टी ने कभी महत्व नहीं दिया अंत में पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया। सतना की बात करें तो वहां से भी भाजपा ने किसी नेता को महत्व नहीं दिया। मतलब साफ है कि भाजपा के एमपी का जो नेत्रृत्व है वो विंध्य में बड़े नेताओं को तैयार नहीं होने देना चाहता। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मालूम है कि अगर विंध्य से बड़े नेता तैयार होंगे तो ग्वालियर-चंबल,बुंदेलखंड और मालवा-निमाड़ का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। इसी लिए भाजपा के संगठन की तरफ से विंध्य में नेत्रृत्व तैयार नहीं होने दिया जाता है। कांग्रेस की तरफ से नेत्रृत्व तैयार करने का प्रयास जरुर हुआ लेकिन कमलेश्वर पटेल पर कांग्रेस ने दांव लगाया जिस पर क्षेत्र की जनता विश्वास नहीं करती। कमलेश्वर पटेल कुर्मी समाज से आते हैं और कट्टर कुर्मी के रुप में उनकी पहचान है। महज 15 महीने की सरकार में उनके बंगले पर कुर्मी समाज के अलावा किसी और वर्ग को महत्व नहीं दिया गया। यही कारण है कि आज लोकसभा चुनाव में कमलेश्वर पटेल की हालत खराब है। अजय सिंह (राहुल) के रुप में कांग्रेस के पास जरुर एक बड़ा चेहरा विंध्य में था लेकिन कांग्रेस ने उन्हे लगातार उपेक्षित कर अजय सिंह के राजनीतिक कैरियार को अंत की ओर अग्रसर कर दिया है। कुल मिला कर विंध्य क्षेत्र भाजपा और कांग्रेस के लिए वोट मशीन से ज्यादा कुछ नहीं है।
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